साईं बाबा की कृपा अपने भक्तों पर हमेशा बनीं रहती है. साईं का नाम अंधेरे में भी रोशनी की किरण दिखा देता है. दुख से तपते मन को साईं का नाम भर ही सहारा दे देता है.
हफ्ते के 7 दिनों में गुरुवार का दिन साईं के नाम पर है. इस दिन साईं के दर्शन, उनका व्रत और पूजा करने वालों पर बाबा की विशेष कृपा बरसती है. साईं बाबा का व्रत कोई भी कर सकता है. यहां तक की बच्चे भी इस व्रत को कर सकते हैं.
साईं अपने भक्तों में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करते. उनकी शरण में अमीर हो गरीब सबके काम सिद्ध हो जाते हैं. बाबा भक्तों की खाली झोली भर देते हैं, साई बाबा का व्रत एक बार शुरू करने के बाद 9 गुरुवार तक किया जाता है.
साईं का व्रत शुरू करना तो बेहद आसान है, लेकिन इस व्रत को बीच में छोड़ने की मनाही है. चाहे कैसी भी मुश्किल आए, 9 व्रत पूरे होने से पहले इसे नहीं छोड़ा जा सकता है. आखिरी व्रत पर पांच गरीबों को भोजन और सामर्थ्य अनुसार दान देना होता है और फिर साईं की पुस्तकें बांटनी होती हैं.
कहते हैं साईं का व्रत जो कोई कर लेता है, बाबा उसकी सभी मुरादें पूरी कर देते हैं. सुख समृद्घि से भर जाता है भक्तों का घर. साईं का नाम, उनका व्रत संवार देता है सात जन्म.
यही वजह है कि साईं के भक्त हर मुश्किल सहकर भी बाबा का नाम जपना और उनके नाम पर व्रत करने का संकल्प करते हैं और इसे आखिरी दम तक पूरा भी करते हैं.