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'जनजातियों का प्रतिनिधित्व नहीं करते संगमा'

राष्ट्रपति पद के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सहित कई विपक्षी पार्टियों के उम्मीदवार पी. ए. संगमा द्वारा खुद को जनजातियों के प्रतिनिधि के तौर पर पेश किए जाने पर एक प्रमुख जनजातीय संगठन ने आपत्ति दर्ज की है. संगठन ने संगमा को आड़े हाथों लेते हुए उन पर निजी लाभ के लिए जनजातीय कार्ड खेलने का आरोप लगाया है.

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पी. ए. संगमा
पी. ए. संगमा

राष्ट्रपति पद के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सहित कई विपक्षी पार्टियों के उम्मीदवार पी. ए. संगमा द्वारा खुद को जनजातियों के प्रतिनिधि के तौर पर पेश किए जाने पर एक प्रमुख जनजातीय संगठन ने आपत्ति दर्ज की है. संगठन ने संगमा को आड़े हाथों लेते हुए उन पर निजी लाभ के लिए जनजातीय कार्ड खेलने का आरोप लगाया है.

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राष्ट्रपति चुनाव से ठीक सप्ताह भर पहले इंडियन कंफेडरेशन ऑफ इंडिजनस एंड ट्राइबल पीपुल्स (आईसीआईटीपी) ने संगमा पर आरोप लगाया कि अपनी उम्मीदवारी से पहले संगमा ने जनजातीय संगठनों के बीच सर्वसम्मति बनाने का कोई प्रयास नहीं किया. आईसीआईटीपी जनजातीय लोगों की सर्वोच्च संस्था है, जिसका गठन 1987 में हुआ था.

संगठन के प्रमुख सलाहकार जेबरा राम मुचाहरी ने कहा, 'बड़ी चिंता के साथ आईसीआईटीपी कहना चाह रहा है कि देश के जनजातियों का उन राजनीतिक दलों के बारे में कुछ भी नहीं कहना है जिन्होंने संगमा का समर्थन करने की बात कही है लेकिन हम उनके उस दावे को खारिज करते हैं कि वह देश के जनजातियों का प्रतिनिधित्व करते हैं.'

उन्होंने कहा, 'संगमा ने चुनाव लड़ने से पहले जनजातीय लोगों और जनजातीय संगठनों से कोई मशविरा नहीं किया. अपने निजी फायदे के लिए वह जनजातीय कार्ड खेल रहे हैं.'

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