अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने माना है कि आर्थिक पुनर्गठन के काम में भारत और चीन बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि उन्हें आर्थिक जगत में अमेरिका का पहले स्थान से दूसरे स्थान पर खिसकना किसी भी स्थिति में मंजूर नहीं है.
ओबामा ने अमेरिकी संसद में अपने संबोधन में कहा कि वित्तीय संकट का बुरा दौर अब बीत चुका है और अब देश को अपनी समस्याओं से निपटने के लिए गंभीर होना पड़ेगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘समस्या गंभीर होती जा रही थी और हमारे लोग हमसे कह रहे हैं कि हमें दशकों का इंतजार करना होगा. वहीं दूसरी चीन अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए इंतजार करने को तैयार नहीं है. जर्मनी भी इंतजार नहीं कर रहा और भारत भी नहीं.’’ देश के नाम अपने संबोधन में 69 मिनट के संबोधन में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि ये देश दूसरे स्थान के लिए नहीं खेल रहे हैं. वे गणित और विज्ञान पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. ‘‘वे अपने बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण कर रहे हैं. वे स्वच्छ उर्जा में गंभीरता से निवेश कर रहे हैं, क्योंकि वे रोजगार चाहते हैं.’’ ओबामा ने पिछले साल 20 जनवरी को अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला था. उन्होंने कहा कि अमेरिका एकमात्र महाशक्ति है. ‘‘मुझे अमेरिका के लिए दूसरा स्थान कबूल नहीं है.’’
ओबामा ने कहा, ‘‘मैं अमेरिका के लिए दूसरा स्थान कबूल नहीं कर सकता. चाहे यह कितना भी कठिन हो, कितना भी परेशानी पैदा करने वाला हो. हम उन समस्याओं से गंभीरता से निपटना होगा, जो हमारे विकास के रास्ते की बाधा बनी हुई हैं.’’ अमेरिका राष्ट्रपति ने कहा कि बुरा दौर बीत चुका है. पर अभी उसका असर बाकी है. ओबामा ने कहा कि आज भी दस में से एक अमेरिकी को कोई काम नहीं मिल रहा है. कई कारोबार बंद हो गए हैं. छोटे शहर और ग्रामीण समुदाय इससे खासकर प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा कि मंदी से अमेरिकी परिवारों का बोझ कई गुना बढ़ गया है.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं उनकी बेचैनी समझ सकता हूं. कुछ लोग तनाव में हैं, तो कुछ गुस्से में.’’ संकट से बाहर निकलने के लिए ओबामा ने 30 अरब डालर की योजना का प्रस्ताव किया है. वाल स्ट्रीट के बैंकों द्वारा लौटाई गई इस राशि का इस्तेमाल सामुदायिक बैंकों को मदद देना है. जिससे ये बैंक छोटे उद्यमों को ऋण उपलब्ध करा सकें और ये उद्यम चलते रहें.
ओबामा ने कहा कि इस कदमों से वे 70 लाख नौकरियां वापस नहीं आएंगी, जो हमने पिछले दो साल के दौरान गंवाई हैं. पूर्ण रोजगार के हमें दीर्घावधि के आर्थिक विकास का नया आधार बनाना होगा.