चीन के शिक्षा मंत्रालय ने सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों को इस साल से ‘सेक्स और प्रेम’ पाठ्यक्रम अनिवार्य करने के आदेश दिये हैं. खास बात यह है कि ऐसा लग रहा है कि सभी छात्र इसे लेकर उत्साहित नहीं हैं और कुछ का कहना है कि यह बहुत नीरस है.
मनोवैज्ञानिक पाठ्यक्रम को सितंबर से विश्वविद्यालय छात्रों के लिए अनिवार्य किया जाएगा जिसमें ‘सेक्स और प्रेम’ भी शामिल है. मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सरकारी ‘चाइना डेली’ से कहा कि मंत्रालय ने इस साल जून में देशभर के विश्वविद्यालयों के सभी विधाओं के छात्रों के लिए एक अनिवार्य मानसिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए कहा.
उन्होंने कहा, ‘दरअसल इस तरह के कालेज पाठ्यक्रम कई वर्षों से तैयार हैं लेकिन वे मुख्य रूप से वैकल्पिक पाठ्यक्रम हैं.’ अधिकारी ने कहा कि पाठ्यक्रमों को अनिवार्य बनाने का मंत्रालय ने फैसला इसलिए किया है क्योंकि ज्यादातर विश्वविद्यालय के छात्रों को भारी दबाव की वजह से मनोवैज्ञानिक दिशानिर्देश की मदद लेने की सलाह दी गई है.
उन्होंने कहा कि नये अनिवार्य पाठ्यक्रम के सात भाग होंगे. सेक्स और प्रेम के अलावा इस पाठ्यक्रम में अन्य मनोवैज्ञानिक समस्याओं से निबटने को लेकर भी अध्ययन सूची है जिसमें जीवन और पढ़ाई में दबाव और उलझनों से निबटना शामिल है.
मंत्रालय के इस कदम को लेकर हालांकि मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली है. पीकिंग विश्वविद्यालय में चिकित्सा विज्ञान की 18 वर्षीय छात्रा गावो चांग ने कहा कि इस तरह के पाठ्यक्रम नये छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमारे स्कूल में मनोवैज्ञानिक पाठ्यक्रम जिसमें सेक्स और प्रसव की थोड़ी जानकारी है, लोकप्रिय हैं लेकिन वे अब तक वैकल्पिक हैं.’ कुछ छात्रों का हालांकि कहना है कि इसे अनिवार्य बनाने की कोई वजह नहीं है.
प्रथम वर्ष में मनोवैज्ञानिक पाठयक्रम लेने वालीं पीकिंग विश्वविद्यालय की छात्रा वांग केफई ने कहा कि यह बहुत उबाउ था और इससे उन्हें कुछ भी फायदा नहीं हुआ. इस छात्रा के पुरूष मित्र ही फांग ने कहा, ‘सभी छात्रों को इस तरह की शिक्षा की जरूरत नहीं है. वैसे भी हम विश्वविद्यालय के छात्र हैं और हममें से ज्यादातर सेक्स और प्रेम के बारे में जानते हैं.’