मजबूत और प्रभावी लोकपाल के लिए गांधीवादी नेता अन्ना हजारे के एक दिन के अनशन में शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में लोग हाथों में तिरंगा और ‘अन्ना’ टोपी पहने आज जंतर मंतर पहुंचे.
रविवार की सर्दी भरी सुबह में लोगों के पहुंचने का सिलसिला प्रात: साढ़े छह बजे ही शुरू हो गया ताकि सामने की कतार में अन्ना के सामने बैठ सकें. अन्ना जब तक राजघाट पर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने के बाद पहुंचते जंतर मंतर पर करीब हजार लोग इकट्ठा हो चुके थे.
दिन चढने के साथ लोगों की संख्या भी बढी और उनका उत्साह भी. अन्ना के आते ही जनसैलाब ने उनका अभिभावदन तालियों की गड़गड़ाहट और नारों से किया. अगस्त में रामलीला मैदान में लगे नारों में इस बार दो नए नारों ने जगह बनाई. फिल्म ‘रॉकस्टार’ के एक गीत का मुखड़ा, ‘साडा हक ऐथे रख’ और लोकप्रिय तमिल गाना ‘वाई दिस कोलावरी दी’ पर लोगों ने ‘वाई दिस धोखाधड़ी’ के नारे लगाए.
‘मैं अन्ना हूं’ की टोपी पहने अन्ना समर्थकों में युवा, वृद्ध, बच्चे, पुरूष और महिलाओं समेत समाज के सभी वर्ग के लोग थे. गांधीवादी अन्ना के समर्थक कई दफा तैश में भी आए. भाकपा महासचिव एबी बर्धन और सपा नेता राजगोपाल यादव के भाषण के दौरान सामने पंक्ति के समर्थकों ने जूते तक उठा लिए.
बाद में स्वयंसेवकों की गुहार और मंच से आग्रह किए जाने पर वे शांत हुए. भाकपा नेता डी राजा ने जब अपना भाषण अंग्रेजी में शुरू किया तो मांग हिंदी में भाषण देने की हुई जिसपर राजा बिफर उठे. बाद में टीम अन्ना सदस्य अरविंद केजरीवाल को उनकी बातों का अनुवाद हिंदी में करना पड़ा.
जदयू अध्यक्ष शरद यादव के भाषण पर अन्ना समर्थकों ने खूब ठहाके लगाए. यादव ने सीबीआई को जहां दुर्गति की चाभी बताया, वहीं उन्होंने केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल पर चुटकी लेते हुए कहा कि टुकड़ों में बात रखना खतरनाक होता है और इसी वजह से सिब्बल फंस गए जिसके बाद हजारों लोग ने जम कर ठहाके लगाए और तालियां बजाईं.
मंच के सामने भारी संख्या में मीडिया की मौजूदगी के कारण लोगों को परेशानी उठानी पड़ी. अनशन के आखिर में भीड़ हल्की बेकाबू हुई लेकिन मौके पर मौजूद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के कारण जल्द ही काबू पा लिया गया.