कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक किताब लिखने का वादा किया है जिसमें 2004 के आम चुनावों में जीत हासिल करने के बाद आए तनाव से भरे उस वक्त का जिक्र होगा जब उन्होंने प्रधानमंत्री पद ठुकराकर मनमोहन सिंह के हाथों में देश की बागडोर सौंप दी थी.
विकीलीक्स की ओर से जारी अमेरिकी कूटनीतिक केबलों के मुताबिक, लोगों की ओर से बार-बार यह पूछे जाने के बाबत कि उन्होंने देश के शीर्ष पद को क्यों नहीं स्वीकार किया, सोनिया ने 2006 में नई दिल्ली आयी कैलिफोर्निया की प्रथम महिला मारिया श्राइवर से कहा था, ‘मुझसे अक्सर यह पूछा जाता है, लेकिन लोगों से कहिए कि किसी दिन मैं एक किताब लिखूंगी जिसमें पूरी कहानी बयान की जाएगी.’
वर्ष 2006 में भेजे गए इस केबल में सोनिया और कैलिफोर्निया के गवर्नर आर्नोल्ड श्वारजेनेगर की पत्नी मारिया के बीच हुई बातचीत का विवरण है. इस केबल का शीषर्क ‘मारिया श्राइवर के सामने राज खोलतीं गपियाती सोनिया गांधी’ है.
बैठक का ब्यौरा देते हुए केबल में सोनिया के बारे में कहा गया है कि वह सिर्फ इतना ही कहेंगी कि उन्हें यह अच्छा लगा कि कोई और प्रधानमंत्री बना और उन्हें अपने फैसले पर अफसोस नहीं. केबल के मुताबिक, ‘श्राइवर ने श्रीमती गांधी को उनकी प्रतिबद्धता के लिए बधाई दी और उन्हें ‘साहसी’ करार दिया.’ लीक हुए केबल में कहा गया है, ‘करन सिंह के कहने पर सोनिया ने इस बारे में बात की और कहा कि वह काफी दबाव में थी क्योंकि पार्टी के कार्यकर्ता काफी निराश थे. चूंकि उन्होंने उनके लिए मतदान किया था और पार्टी को बहुमत प्राप्त हुआ था, ऐसे में वे यह नहीं समझ पा रहे थे कि पार्टी अध्यक्ष के तौर पर वह पद क्यों नहीं ग्रहण कर रहीं.’
{mospagebreak} सोनिया और श्राइवर की बैठक को सौहार्दपूर्ण करार देते हुए केबल में कहा गया है कि सोनिया खुलकर बातचीत करने लगीं और अपने बारे में उन्होंने कुछ ऐसी बातें बतायीं जो बहुत कम लोगों को मालूम है.
केबल में कहा गया, ‘सार्वजनिक तौर पर अमूमन गंभीर और रिजर्व दिखने वाली सोनिया ने काफी लंबी बातचीत की और अपनी निजी जिंदगी के कुछ पहलुओं के अलावा महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर भी बात की.’
केबल के मुताबिक, भाजपा के उदय एवं दक्षिण पंथी राजनीति के कारण उन्हें न चाहते हुए भी राजनीति में आने को मजबूर होना पड़ा. विकीलीक्स द्वारा जारी केबल में कहा गया ‘निजी राजनीतिक रुख के बारे में श्रीमती गांधी ने कहा कि भारत में दक्षिण पंथ मजबूत हो रहा है और कांग्रेस कमजोर, इसलिए गांधी परिवार की विरासत के संरक्षण के लिए उन्हें राजनीति में कदम रखने को बाध्य होना पड़ा.’
केबल में कहा गया है कि उन्होंने यह खुलासा भी किया कि उनके बच्चे इस विचार से बहुत ज्यादा इत्तेफाक नहीं रखते थे लेकिन आखिरकार बच्चों ने कहा, ‘आप जो भी फैसला करेंगी हम आपका साथ देंगे.’
सोनिया ने कहा कि उनके माता-पिता ने राजीव गांधी से शादी पर आपत्ति जतायी थी लेकिन वह अपने रुख पर अड़ी रहीं और आखिरकार उनसे शादी की.
{mospagebreak} कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि वह महसूस करती हैं उनके राजनीतिक जीवन में उनका महिला होना कभी भी मुद्दा नहीं रहा है और इंदिरा गांधी का भी यही मानना था.
केबल के मुताबिक, जनसंख्या नियंत्रण पर श्राइवर से चर्चा करते हुए सोनिया कहती हैं कि इस मुद्दे पर इंदिरा गांधी को सत्ता से बाहर कर दिए जाने के बाद भारत में ‘जनसंख्या नियंत्रण’ एक राजनीतिक वर्जना (टैबू) है.
लीक हुए केबल में कहा गया है, ‘हालांकि उन्होंने इस बात पर बल दिया कि जबरन नसबंदी एवं अन्य दुरुपयोगों के मामलों को ‘बढ़ा-चढ़ाकर और राजनीतिक निहित उद्देश्य’ से उछाला गया था. लेकिन अतीत के अनुभव ने संप्रग को जागरुकता बढ़ाने और बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं एवं तरीके प्रदान करने पर ध्यान देने को बाध्य किया जिनसे जन्मदर पर स्वत: ही अंकुश लग सकता है.
श्राइवर से बातचीत में सोनिया अपनी निजी जिंदगी के पहलुओं के बारे में कहती हैं कि वह अक्सर भारत में यात्राएं करती रहती हैं, आम आदमी से संपर्क के लिए प्राय: सुदूर इलाकों की भी यात्रा करती हैं क्योंकि बाहर जाकर और लोगों से मिलजुल कर ही उनकी समस्याएं और आकांक्षायें बेहतर तरीके से समझी जा सकती हैं.
भारत-अमेरिकी संबंधों पर चर्चा करते हुए सोनिया मजाकिया लहजे में कहती हैं कि ‘भारतीय वाम अमेरिका विरोधी’ है, लेकिन इस बात पर सहमति जताती हैं कि उनका यह रुख अमेरिकी जनता की बजाय अमेरिकी नीति के प्रति है. सोनिया यह भी कहती हैं कि कई भारतीय मुसलमान अमेरिका की कुछ नीतियों को पसंद नहीं करते.’