स्वदेश निर्मित स्टील्थ (रडार की जद में नहीं आने वाले) युद्धपोत ‘आईएनएस सहयाद्री’ को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया.
‘आईएनएस शिवालिक’ और ‘आईएनएस सतपुड़ा’ को नौसेना में शामिल किए जाने के बाद अब इस युद्धपोत को नौसेना में शामिल किया गया है. रक्षा मंत्री ए के एंटनी, नौसेना प्रमुख एडमिरल निर्मल वर्मा और वरिष्ठ नौसेना अधिकारियों की उपस्थिति में इसे नौसेना बेड़े में यहां शामिल किया गया.
‘आईएनएस सहयाद्री’ ‘प्रोजेक्ट-17’ के तहत नौसेना द्वारा शामिल किया जाने वाला अंतिम युद्धपोत है. इस वर्ग के पहले दो युद्धपोत-आईएनएस शिवालिक और आईएनएस सतपुड़ा थे, जिन्हें अप्रैल 2010 और अगस्त 2011 में क्रमश: नौसेना में शामिल किया गया था.ये जहाज समुद्री क्षेत्र में कई भूमिकाएं निभा रहे हैं.
4,900 टन वजनी सहयाद्री कई आधुनिक तकनीक से युक्त है जिनमें इसकी सतह और हवा में मार करने वाले अत्याधुनिक मिसाइल शामिल हैं और अन्य गतिविधियों के लिए दो हेलिकॉप्टर भी हैं. साथ ही यह शत्रुओं के पोत की पहचान करने और उन्हें निष्क्रिय करने की क्षमता भी रखता है.
यह युद्धपोत जहाजरोधी क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को भी ले जाने में सक्षम है. इसके निर्माण और डिजाइन का कार्य मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड ने किया है. शत्रुओं के क्रियाकलाप पर नजर रखने के लिए इस युद्धपोत में अत्याधुनिक सोनार और रडार तंत्र लगे हैं.