राष्ट्रमंडल खेलों में चक्का फेंक (डिस्क्स थ्रो) स्पर्धा में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाली कृष्णा पूनिया ने लंदन ओलंपिक में पदक पाने के लिए अपने लिए 65 मीटर दूरी का लक्ष्य रखा है.
इसके लिए पूनिया को हालांकि अपने अब तक के श्रेष्ठ प्रदर्शन (63.69 मीटर) को पीछे छोड़कर जर्मनी, क्यूबा और चीन की शीर्ष चक्का फेंक खिलाड़ियों की जमात में शामिल होना होगा.
पोर्टलैंड (अमेरिका) में अपने पति और कोच वीरेंद्र के साथ एक साल से अभ्यासरत पूनिया ने साक्षात्कार में कहा, 'इन दिनों ओलंपिक पदक 63 से 66 मीटर तक की दूरी में मिल जाते हैं. जर्मनी, क्यूबा और चीन के खिलाड़ी शीर्ष प्रतिस्पर्धी हैं लेकिन मैंने अपने लिए 65 मीटर का लक्ष्य रखा है. मुझे यकीन है कि मैं यह दूरी नापने में सफल रहूंगी क्योंकि मैं हर हाल में देश के लिए ओलंपिक पदक जीतना चाहती हूं.'
पूनिया ने कहा कि उन्होंने अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन अब तक नहीं किया है और उसे उन्होंने लंदन ओलंपिक जैसे बड़े आयोजन के लिए बचाकर रखा है.
बकौल पूनिया, 'इस बार जर्मन, क्यूबा और चीनी थ्रोअरों के साथ मेरी कड़ी टक्कर होगी. मेरे अंदर उन्हें हराने की क्षमता है और मैं ऐसा करने का प्रयास करूंगी. महिला वर्ग में काफी कड़ी टक्कर होगी क्योंकि यहां कई सशक्त प्रतिस्पर्धी हैं.'
पूनिया ने कहा, 'मैं जानती हूं कि पदक पाने के लिए मुझे काफी मेहनत करनी है. मैं इसमें जुटी हूं और यह उम्मीद करती हूं कि मेरा श्रेष्ठ उस समय सामने आएगा, जब मुझे सबसे अधिक इसकी जरूरत होगी.'
पूनिया ने नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा था. वह 1958 के कार्डिफ राष्ट्रमंडल खेलों के बाद भारत के लिए एथलेटिक्स में स्वर्ण जीतने वाली पहली खिलाड़ी बनी थीं.
पूनिया पोर्टलैंड में 1976 ओलंपिक चैंपियन मैक विल्किंस की देखरेख में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं. मैक के साथ के बारे में पूनिया ने कहा, 'मैक के सहयोग के कारण ही हमने पोर्टलैंड को अपना प्रशिक्षण स्थल बनाने का फैसला किया. मैं उनके साथ कई स्तर पर काम कर रही हूं. इसमें सबसे अहम चक्के को जल्द से जल्द छोड़ना है.'