एक नए अध्ययन में कहा गया है कि बचपन में गरीबी, वयस्क होने पर तनाव और उम्र, लिंग तथा नस्ल आदि का असर व्यक्ति के जीन पर पड़ता है.
ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय और सेंटर फॉर मालीक्यूलर मेडिसिन एंड थेराप्युटिक्स (सीएमएमटी) के अध्ययन में पाया गया है कि जीन पर पड़ने वाला असर हमारी प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करता है.
यह अध्ययन इस बात पर आधारित था कि जन्म से पहले और बाद के वर्षों के अनुभव किस तरह व्यक्ति के जीवन की दिशा पर असर डालते हैं.
इस शोध में डीएनए मेथिलेशन की प्रक्रिया का अध्ययन किया गया जहां डीएन में एक रासायनिक परमाणु जुड़ कर इस तरह काम करता है जिस तरह बल्ब के स्विच में लगा डिमर काम करता है. इसके फलस्वरूप जीन सक्रिय या निष्क्रिय होता है.
अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि बचपन में गरीबी का संबंध मेथिलेशन प्रक्रिया से होता है. लेकिन वयस्क अवस्था का सामाजिक आर्थिक दर्जा इस पर कोई असर नहीं डालता.