आईआईटी कानपुर में गुरूवार को पिछले छह साल में छात्र की आत्महत्या के नौवें मामले के बाद आईआईटी प्रशासन एक बार फिर छात्रावास में रहने वाले छात्र छात्राओं के रात बारह बजे से सुबह छह बजे तक इन्टरनेट प्रयोग पर रोक लगाने पर विचार कर रहा है.
वैसे संस्थान में प्रत्येक वर्ष आत्महत्या के मामलों के बाद अधिकारी बयान देते हैं कि छात्र इन्टरनेट ज्यादा इस्तेमाल करने से मानसिक तनाव में रहते है इसीलिये उनके रात के इंटरनेट इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी जानी चाहिए. 22 सितंबर को छात्रावास में रहने वाले बीटेक प्रथम वर्ष के छात्र महताब के आत्महत्या करने के बाद एक बार फिर संस्थान के अधिकारी इस कवायद में जुट गये हैं.
आईआईटी के रजिस्ट्रार संजीव कशालकर ने कहा कि आईआईटी के छात्र छात्राओं को मानसिक तनाव से बचाने के लिये संस्थान रात बारह बजे से सुबह छह बजे तक इंटनेट पर रोक लगाने पर विचार कर रहा है.
हालांकि उन्होंने कहा कि इस बाबत प्रस्ताव छात्रसंघ के समक्ष रखा जाएगा फिर इसे डीन स्टूडेंट वेलफेयर के पास भेजा जायेगा. सबकी सहमति मिलने पर ही इसे लागू किया जायेगा.
रजिस्ट्रार से पूछा गया कि ऐसे प्रस्ताव पहले भी लाए गए लेकिन अभी तक अमल क्यों नहीं हुआ. इस पर उन्होंने कहा कि संस्थान में लोकतांत्रिक प्रक्रिया (डेमोक्रेसी) है इसलिये सबकी सहमति जरूरी होती है. महताब मामले की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि वह इंटरनेट पर काफी समय बिताता था इसलिये इस बार इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार होगा.
कशालकर ने बताया कि पूरा आईआईटी परिसर वाई फाई इंटरनेट सुविधा से लैस है और अक्सर छात्रावासों में छात्र देर रात तक इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. सुबह जब वह क्लास में आते हैं या परीक्षा देने जाते हैं तो वह तरोताजा नहीं होते जिससे उनका मन न तो पढ़ाई में लगता है और न ही परीक्षा में. वे धीरे धीरे मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं.
रजिस्ट्रार ने कहा कि आईआईटी में पांच हजार छात्र छात्रायें पढ़ते है इसलिये प्रत्येक छात्र के कमरे में जा कर यह पता लगाना संभव नहीं है कि कौन छात्र सोया है या और कौन नहीं. इसलिये प्रशासन देर रात तक इंटरनेट के इस्तेमाल पर रोक का आदेश जारी करने पर विचार कर रहा है.
उन्होंने कहा कि जुलाई माह में आईआईटी का नया सत्र शुरू हुआ तो प्रशासन ने अभिभावकों को सलाह दी थी कि वह प्रथम वर्ष के छात्र छात्राओं को कम से कम अभी लैपटाप खरीद कर न दें.
रजिस्ट्रार कहते है कि अभी नये छात्रों को लैपटाप की कोई खास जरूरत नहीं है. जहां तक इन्टरनेट पर काम का सवाल है तो संस्थान में कंप्यूटर सेंटर है, लाइब्रेरी और सभी विभागों में भी इन्टरनेट और वाई फाई सिस्टम उपलब्ध है। छात्र छात्रायें वहां जाकर काम कर सकते हैं.
लेकिन संस्थान की इस राय पर भी अमल नही हुआ और अनेक नये छात्र छात्राओं के पास लैपटाप है. आईआईटी के सूत्र बताते है कि बहुत से छात्र सुबह चार बजे तक अपने लैपटाप पर इंटरनेट में काम करते रहते है और उसके बाद मात्र दो से तीन घंटे की नींद लेकर कक्षाओं में या परीक्षा देने पहुंच जाते है. नींद न पूरी होने के कारण वह तनाव में रहते हैं और पर्चा बिगड़ने तथा नंबर कम आने पर अक्सर आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाते हैं.
रजिस्ट्रार कहते है कि छात्र छात्राओं के लिये काउंसलिंग की व्यवस्था भी संस्थान में की गयी है ताकि अगर उन्हें कोई समस्या हो तो वह आकर उस बारे में बातचीत करें. योग केन्द्र, खेलकूद का मैदान और अन्य मंनोरजन के साधन भी हैं जहां जाकर छात्र अपना मन बहला सकते हैं.
गौरतलब है कि आईआईटी में पिछले छह सालांे में नौ छात्र छात्रायें मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या कर चुके हैं.