वर्ष 1993 के दूरसंचार घोटाले में दोषी साबित पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम के वकील ने दिल्ली की एक अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल कोमा में हैं. अदालत ने मामले की सुनवाई शनिवार तक के लिए टाल दी.
सुखराम को सुप्रीम कोर्ट ने समर्पण करने का आदेश दिया था. उनके वकील ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश धर्मेश शर्मा को बताया कि वह (सुखराम) कोमा में चले गए हैं वह अस्पताल से नहीं आ सकते.
सुखराम (86) को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि वह निचली अदालत के समक्ष समर्पण कर दें लेकिन वे इन्हीं चिकित्सा कारणों के आधार पर बच गए. उनके वकील ने कहा था कि सुखराम को ‘कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (सीटी) एंजियोग्राफी’ के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया. विशेष न्यायाधीश शर्मा ने सुनवाई, शनिवार तक के लिए टाल दी क्योंकि संबंधित विशेष सीबीआई न्यायाधीश संजीव जैन आज छुट्टी पर थे.
न्यायाधीश ने कहा कि क्योंकि आवेदक-दोषी कोमा में चला गया है और न्यायाधीश प्रभारी शनिवार को अपनी ड्यूटी पर आएंगे इसलिए मामले को उनके समक्ष विचार के लिए शनिवार सुबह 10 बजे तक के लिए टाला जाता है. दो अन्य दोषियों..पूर्व नौकरशाह रुनू घोष और हैदराबाद के व्यवसायी पी रामा राव ने गुरुवार को निचली अदालत के समक्ष समर्पण कर दिया था. उन्हें क्रमश: दो और तीन साल के लिए जेल भेज दिया गया. उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए निर्देश दिया था कि वे कैद की सजा काटने के लिए पांच जनवरी को निचली अदालत के समक्ष समर्पण कर दें.
तीनों दोषियों ने तब राहत पाने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया ताकि उन्हें समर्पण नहीं करना पड़े. शीर्ष अदालत ने हालांकि उनके आग्रह पर विचार करने से इंकार कर दिया और कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उनकी अपील को विचार के लिए तभी सूचीबद्ध किया जाएगा जब वे निचली अदालत में समर्पण कर देंगे. सुखराम के वकील ने न्यायालय से कहा था कि उनके मुवक्किल को अस्पताल से ही न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाए. अदालत ने हालांकि कहा कि आग्रह पर संबंधित विशेष न्यायाधीश आज सुनवाई करेंगे .
उच्च न्यायालय ने पिछले साल 21 दिसंबर को निचली अदालत के 2002 के फैसले को बरकरार रखा था जिसमें सुखराम और दो अन्य को दूरंसचार घोटाले में दोषी ठहराया गया था. उन्हें हैदराबाद की एडवांस्ड रेडियो मास्ट्स (एआरएम) को उपकरणों की आपूर्ति का ठेका देकर सरकारी खजाने को चूना लगाने के मामले में आपराधिक षड्यंत्र का दोषी ठहराया गया था. मामले के अनुसार इस कंपनी ने दूरसंचार विभाग को उंचे दामों पर खराब गुणवत्ता के उपकरणों की आपूर्ति की.
सुखराम और एआरएम के प्रबंध निदेशक रामा राव को जहां तीन..तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी वहीं पूर्व उप महानिदेशक (दूरसंचार विभाग) रुनू घोष को दो साल कैद की सजा सुनाई गई थी. कैद की सजा के अतिरिक्त तीनों दोषियों को यह भी आदेश दिया गया था कि वे दो-दो लाख रुपये का जुर्माना अदा करें.
नरसिम्हा राव सरकार में सुखराम 18 जनवरी 1993 से 16 मई 1996 तक दूरसंचार मंत्री रहे. उन्होंने घोष और रामा राव के साथ साजिश रची तथा एआरएम लिमिटेड की निविदा को मूंजर कर लिया जबकि इसकी दरें बोली लगाने वाली अन्य कंपनियों से अधिक थीं. विभिन्न मामले दर्ज करने के बाद सीबीआई ने 1996 में यहां सुखराम के आवास से कथित तौर पर 3.6 करोड़ रुपये की नकदी बरामद की जो बैगों और सूटकेसों में छिपाकर रखी गई थी.