अन्ना हजारे ने रामलीला मैदान में आंदोलनकारियों से कहा कि अपने देश को दुश्मनों से नहीं, बल्कि देश के गद्दारों से खतरा है.
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अपना अनशन पांचवें दिन जारी रखते हुए अन्ना हजारे ने सीधी-सादी भाषा में कहा कि हमारे खजानों को चोरों से नहीं, बल्कि पहरेदारों से खतरा है. उन्होंने कहा कि जब तक हमें जनलोकपाल नहीं मिल जाता, तब तक लड़ते रहेंगे.
रामलीला मैदान में अन्ना 'लीला' । अलबेले समर्थक...
अन्ना के भाषण के दौरान आंदोलनकारी अन्ना के समर्थन और भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लगाते रहे. अन्ना हजारे जब शनिवार सुबह दस बजे जब मंच पर आए, तो उनके समर्थकों में भारी उत्साह दिखा.
ये हैं अन्ना के अलबेले समर्थक... | सड़कों पर समर्थन
मंच से जनसैलाब को संबोधित करते हुए अन्ना हजारे ने कहा, ‘‘हमें क्यों लड़ना चाहिए? सरकारी खजाने का पैसा हमारा है. खजाने को चोरों से खतरा नहीं है, बल्कि उनसे है जो इसके पहरेदार हैं.’’
अन्ना हजाने ने कहा ‘‘पिछले चार दिनों में मेरा वजन साढ़े तीन किलो कम हो गया है. मैं थोड़ा कमजोर महसूस कर रहा हूं, लेकिन इसके बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. जब तक हमें मजबूत लोकपाल नहीं मिल जाता, यह लड़ाई जारी रहेगी.’’
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दूसरी तरफ, हजारे के प्रमुख सहयोगी अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसौदिया ने कहा कि वे सरकार से बातचीत करने को तैयार हैं लेकिन अभी तक इसकी पहल नहीं हुई है. केजरीवाल और सिसौदिया ने कहा ‘‘हम सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन उनकी तरफ से किसी तरह की पहल नहीं हुई है. हमें बातचीत के लिए कहां जाना चाहिए और किससे बात करनी चाहिए?’’
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इससे पहले शुक्रवार को अन्ना हजारे ने जन लोकपाल विधेयक पारित कराने के लिए सरकार को तीस अगस्त तक का अंतिम समय दिया था और कहा था कि ऐसा नहीं होने पर वह अपनी अंतिम सांस तक अनशन करेंगे. रामलीला मैदान में आंदोलनकारियों की तादाद लगातार बढ़ती ही जा रही है.
तिहाड़ से रामलीला मैदान पहुंचे अन्ना | आपकी तस्वीरें
इस बीच, सिविल सोसायटी के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि वो जनलोकपाल पर कांग्रेस सांसद संदीप दीक्षित के दिए बयान का स्वागत करते हैं. अरविंद केजरीवाल का कहना है कि सरकार बातचीत की मंशा तो रखती है, लेकिन उसने अभी तक सिविल सोसायटी के लोगों से संपर्क नहीं साधा है.
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अरविंद केजरीवाल का कहना है कि सरकार को ये बताना चाहिए कि वो अन्ना की टीम से कब और कहां बातचीत करना चाहती है. अरविंद केजरीवाल का कहना है कि वो संसद का सम्मान करते हैं, लेकिन उनकी नजर में जनता सर्वोपरि है और संसद को जनता की भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए.
बहरहाल, इस गंभीर मुद्दे की ओर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं.