महंगाई के मुद्दे पर सरकार को धर्मसंकट में डाल दिया है ममता बनर्जी ने. 18 सांसदों के दम पर वो मनमोहन सिंह को आंखे दिखा रही हैं. कहती हैं बढ़े दाम वापस करो और आगे दाम बढ़ाओ मत. सरकार का कहना है कि देश की आर्थिक भलाई के लिए कड़े फैसले मजबूरी हैं- पीएम मनमोहन सिंह पर भरोसा करो.
कोलकाता से चुन कर देश की संसद में पहुंचने वाले तृणमूल कांग्रेस के 18 लोकसभा सांसद प्रधानमंत्री के साथ महंगाई पर दो दो हाथ करने को तैयार हैं तो सरकार भी देश की आर्थिक जरूरतों का हवाला दे रही है.
तृणमूल ने साफ कर दिया है कि उसके मंत्री मंत्रिमंडल से इस्तीफे को तैयार है. कोलकाता में पिछले तीन दिनों की सियासी गतिविधियां इसकी गवाह हैं. नाराजगी की वजह ये भी है कि घटक दलों से अहम फैसलों में सलाह नहीं ली जाती. तृणमूल कांग्रेस इस कदर तैश में है कि मंत्रिमंडल में होने के बावजूद वो सरकार से कह रही है कि तेल की कीमतें बढ़ाने वाली कंपनियों की आड़ लेकर महंगाई पर सरकार को मजबूर न दिखाया जाए.
तेल के दाम तय करने के जीओएम में ममता भी शामिल हैं तो फैसले से वो भी वाकिफ थीं. हालांकि इस बात को तृणूल खारिज करती है और कहती है कि नवंबर के आखिर में गैस और डीजल के दाम सरकार फिर बढ़ाने वाली है लिहाजा उन्हें ये कदम उठाना पड़ा.
शुक्रवार को एक रुपए अस्सी पैसे पेट्रोल के दाम बढ़ने के बाद तृणमूल ने रौद्ररूप धारण कर लिया है और वो सरकार को भष्म करने के तेवर मे है. पर जानकारों का कहना है कि ये सब तेवरबाजी है. सियासत में अक्सर खेली जाने वाली नूरा कुश्ती है ताकि एक दूसरे मतदाता उन्हे गलत न समझें.