सरकार ने एयर इंडिया के पायलटों की हड़ताल को अनुचित बताते हुए कहा कि वह उनकी सभी शिकायतों पर बिना शर्त विचार करने को तैयार हैं बशर्ते वे बिना शर्त काम पर लौट आएं.
उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने लोकसभा में कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा पायलटों की हड़ताल को गैर कानूनी बताने के बावजूद उनका काम पर नहीं लौटना बहुत दुखद है. उन्होंने हड़ताली पायलटों को आश्वासन दिया कि वह काम पर लौट आए और प्रबंधन दुर्भावना से प्रेरित होकर कार्रवाई नहीं करेगा.
सदन में नागर विमानन क्षेत्र में व्यापक बदालाव पर नियम 193 के तहत हुई विशेष चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इस हड़ताल से अब तक एयर इंडिया को 150 करोड़ रूपये का नुकसान हो चुका है और यात्रियों को असुविधा हो रही है, वह अलग है.
उन्होंने कहा कि पायलटों जिन चार मांगों पर हड़ताल पर गए हैं, वह ऐसे नहीं थे जिनपर बिना सूचना दिये और बीमारी के नाम पर अचानक हड़ताल पर चले जाया जाए.
मंत्री ने कहा कि हड़ताली पायलटों ने जिन चार विषयों पर हड़ताल की है, उस पर न्यायमूर्ति धर्माधिकारी समिति की रिपोर्ट के आलोक में दो-तीन महीने के भीतर फैसला लिये जाने वाला था, ऐसे में पायलटों को धीरज दिखाना चाहिए था.
उन्होंने हड़ताली पायलटों से अपील की कि उच्च न्यायालय के आदेश तथा ‘पीक सीजन’ में यात्रियों को हो रही घोर परेशानी को देखते हुए वह काम पर लौट आएं.
एयर इंडिया के पायलट जिन चार मांगों पर हड़ताल पर गए हैं, उनमें नए खरीदे गए अत्याधुनिक ड्रीमलाइनर विमानों को उड़ाने का उन्हें विशिष्ठ अधिकार देना, निजी यात्राओं में उन्हें विमानों में प्रथम श्रेणी में उड़ने की अनुमति देना, कमांडर बनने की अवधि 10 साल से घटाकर छह साल करना शामिल है.
वहीं एयर इंडिया के हड़ताली पायलटों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार ने कहा कि बीमारी का बहाना बनाकर काम पर नहीं लौटने वाले पायलटों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. एयर इंडिया के 200 से अधिक पायलटों की हड़ताल के आज आठवें दिन कंपनी को 10 अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द करनी पड़ीं.