सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह ने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि उन्होंने ही थलसेना प्रमुख जनरल वीके सिंह को एक रक्षा सौदे के लिये रिश्वत की पेशकश की थी. उन्होंने दिल्ली की एक अदालत में जनरल सिंह तथा अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दाखिल किया.
तेजिंदर सिंह ने अदालत से मांग की है कि जनरल सिंह को बुलाया जाए और मीडिया में ‘निंदात्मक’ बयान देने पर उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाए.
सेना प्रमुख ने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि एक लॉबीस्ट ने उनसे 600 वाहनों की खरीदी से जुड़ी फाइल को मंजूर करने के ऐवज में 14 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की थी. उन्होंने कहा कि यह जानकारी उन्होंने रक्षा मंत्री एके एंटनी को दे दी थी.
राज्यसभा में बयान देते हुए एंटनी ने कहा कि थलसेना प्रमुख ने उन्हें बताया था कि सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह ने उन्हें कथित तौर पर रिश्वत की पेशकश की है, जिस बात को सुनकर उन्हें हैरानी हुई और उन्होंने कार्रवाई करने के लिए कहा.
मंत्री ने कहा कि लेकिन थलसेना प्रमुख अज्ञात कारणों से मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे.
सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल ने अपनी शिकायत में एसके सिंह (सेना के उप प्रमुख), लेफ्टिनेंट जनरल बीएस ठाकुर (डीजी एमआई), मेजर जनरल एसएल नरसिंहन और लेफ्टिनेंट कर्नल हितेन साहनी के भी नाम लिये हैं और उन पर अपने पद, अधिकारों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है.
तेजिंदर सिंह ने वकील अनिल के. अग्रवाल और एसएम पांडेय के माध्यम से एक मजिस्ट्रेटी अदालत में दाखिल अपनी याचिका में कहा, ‘आरोपियों के झूठे, बेबुनियाद और निंदात्मक बयान तथा अतीत व वर्तमान में गैरकानूनी कृत्यों से न केवल फरियादी की साख और सम्मान कम हुआ है बल्कि उनका उनके व्यवसाय, बिरादरी और परिवार में परिहास हो रहा है.’