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द्वेष के तहत दाखिल की गई याचिका: कपिल सिब्‍बल

दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने एडीएजी समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) पर मेहरबानी दिखाने के आरोपों को खारिज कर दिया है.

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कपिल सिब्बल
कपिल सिब्बल

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दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने एडीएजी समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) पर मेहरबानी दिखाने के आरोपों को खारिज कर दिया है.

सिब्बल ने कहा कि आरकॉम पर सेवाएं कुछ समय के लिए बाधित करने के जुर्म में जो 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है, वह कंपनी और यूनिवर्सल सर्विस आब्लिगेशन (यूएसओ) फंड के बीच हुए करार के तहत है.

सिब्बल ने एक गैर सरकारी संगठन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका को ‘दुर्भावना से प्रेरित तथा अपमानजनक’ करार दिया है. एनजीओ ने याचिका में आरोप लगाया है कि दूरसंचार मंत्री ने निजी क्षेत्र की कंपनी का पक्ष लेते हुए उसके खिलाफ 650 करोड़ रुपये के बजाय सिर्फ 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया. इस याचिका के दायर होने के एक दिन बाद यहां संवाददाता सम्मेलन में सिब्बल ने 650 करोड़ रुपये के जुर्माने की गणना के तरीके पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि यूएसओ फंड ने ही खुद 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश की थी.

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सिब्बल ने कहा कि मैं इस बात से काफी खफा हूं कि एनजीओ ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर कहा है कि दूरसंचार मंत्री ने रिलायंस का जुम्राना घटाकर 5 करोड़ रुपये कर दिया और इस तरह अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया.

इस मामले की जानकारी देते हुए दूरसंचार मंत्री ने कहा कि रिलायंस की दूरसंचार सेवाएं नवंबर, 2010 से दिसंबर के दौरान किन्हीं भी कारणों की वजह से बंद हो गईं. इसके बाद कंपनी को नोटिस जारी कर 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी गई.

सिब्बल ने कहा कि यह 50 करोड़ रुपये का नोटिस कंपनी पर दबाव बनाने के लिए भेजा गया था. अंत में 16 फरवरी को सेवाएं फिर शुरू हो गईं और इस साल कंपनी ने 5.5 करोड़ रुपये का जुर्माना अदा कर दिया.

दूरसंचार मंत्री ने कहा कि कि यूएसओ फंड और आरकॉम के बीच हुए करार के तहत जुर्माने की गणना सेवाओं में बाधा की अवधि (7 से 45 दिन) के आधार पर की गई है. सिब्बल ने अपने उपर लगाए गए आरोपों को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया. उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अपने मंत्रालय के अधिकारियों के फैसले को धता बताते हुए कंपनी पर जुर्माना कम किया.

दूरसंचार मंत्री ने कहा कि कोई भी मंत्री इस तरह का फैसला नहीं लेगा जिससे उस पर ‘बेइमानी और निजी कंपनियों का पक्ष’ लेने का आरोप लगे. सिब्बल ने कहा कि जनहित याचिकाओं का दुरुपयोग हो रहा है और इनका इस्तेमाल निजी विद्वेष पर बदला लेने के लिए किया जा रहा है. हालांकि उन्होंने इस बात का जवाब नहीं दिया कि क्या उन्‍हें जानबूझकर निशाना बनाया गया है.

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सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) नामक एनजीओ ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर कहा है कि सिब्बल ने यूएएसएल करार के उल्लंघन के मामले में अनिल अंबानी की अगुवाई वाली आरकॉम पर जुर्माना राशि को 650 करोड़ रुपये से घटाकर 5 करोड़ रुपये कर दिया है. एनजीओ का आरोप है कि यूएसओ फंड करार के उल्लंघन के लिए कंपनी पर प्रत्येक सर्किल पर 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाना चाहिए.

सिब्बल ने कहा कि एडीएजी समूह की कंपनी पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना यूएसओ फंड और रिलायंस टेलीकाम के बीच करार के तहत लगाया गया है. दूरसंचार मंत्रालय का इससे कोई लेना देना नहीं है, क्योंकि कंपनी ने लाइसेंस शर्तों का उल्लंघन नहीं किया है.

दूरसंचार मंत्री ने बताया कि उनके पास इस मामले की फाइल इस साल 18 फरवरी को पहुंची थी, जबकि आरकॉम ने इससे दो दिन ही सेवाएं फिर से शुरू कर दी थीं. हालांकि इस सवाल को उन्होंने टाल दिया कि किस तरह 50 करोड़ रुपये के जुर्माने की गणना की गई थी.

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