टूजी घोटाले का एक सीक्रेट बाहर आ गया है. ये सीक्रेट है ए राजा की लिखी चिट्ठी. जिसके दम पर वो दावा कर रहे हैं कि कंपनियों के स्पेक्ट्रम घोटाले की चिदंबरम को पूरी जानकारी थी. इतना ही नहीं इसकी जानकारी प्रधानमंत्री को भी थी.
टूजी घोटाले में फंसे ए राजा की ये चिट्ठी. ना सिर्फ पी चिदंबरम, बल्कि मनमोहन सिंह के भी गले का फांस बन सकता है. राजा ने ये चिट्ठी घोटालों पर आवाज उठने के बाद दूरसंचार सचिव को नवंबर, 2008 में लिखी थी. राजा ने लिखा था, ‘मीडिया में स्वान टेलिकॉम और यूनीटेक टेलिकॉम के अवैध रूप से संपत्ति बढ़ाने पर भ्रमित करने वाली खबरें आ रही हैं. इस मामले में प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के बीच चर्चा हुई थी, जैसा कि मैंने चेन्नई में प्रेस कांफ्रेंस में बताया था.’
इससे पहले भी राजा कोर्ट में खुलकर कह चुके हैं कि कंपनियों के शेयर की खरीद-फरोख्त की पीएम और वित्त मंत्री को पूरी जानकारी थी. और माना जा रहा है कि राजा ने इसी चिट्ठी के बूते दावा किया था कि प्रधानमंत्री इनकार करके दिखाएं.
राजा के आरोपों का आधार 30 जनवरी 2008 को मनमोहन सिंह और पी चिदंबरम के बीच बैठक के मिनट्स भी हैं. जिसमें जिक्र है कि सरकार को स्पेक्ट्रम आवंटन में ऐसी कंपनियों के होने की जानकारी थी. जिनके पास लाइसेंस के अलावा और कोई एसेट नहीं था. सरकार को ये भी पता था कि ये कंपनियां स्पेक्ट्रम का आगे कारोबार करेंगी. हुआ भी वो ही.
स्वान टेलिकॉम को 1600 करोड़ में लाइसेंस दिया गया, जिसने एटीस्लैट को 4200 करोड़ रुपये में 45 परसेंट इक्विटी बेच दी. यूनीटेक ग्रुप को भी 1600 करोड़ रुपये में लाइसेंस दिया गया, जिसने स्पेक्ट्रम हासिल होते ही टेलीनॉर को 6200 करोड़ रुपये में 60 परसेंट इक्विटी बेच दी थी.
पी चिदंबरम के करीबी सूत्र बताते हैं कि वो इस तरह की किसी मीटिंग से इनकार कर रहे हैं. लेकिन आने वाले दिनों में घोटाले के वक्त वित्त मंत्री रहे चिदंबरम को ऐसे कई सवालों से जूझना पड़ सकता है.