संसदीय कार्यमंत्री पवन कुमार बंसल का कहना है कि लोकपाल बिल के पास नहीं होने के लिए बीजेपी जिम्मेदार है. उनका कहना है कि इतनी संख्या में संशोधन प्रस्ताव देने का मतलब सिर्फ इतना था कि बिल को लटकाया जाए. उन्होंने कहा कि सरकार तो चाहती थी कि बिल पास हो, लेकिन विपक्ष ने अपनी मर्जी का किया.
पवन बंसल का कहना है कि सरकार लोकपाल बिल को अगले सत्र में पास करवाएगी. बंसल ने कहा कि कानून बनाने में वक्त लगता है. उन्होंने कहा कि राज्यसभा में अगर संशोधन पास होता, तो वह फिर लोकसभा में जाता, जहां फिर से इसपर बहस होती और वापस राज्यसभा में आता. हम चाहते थे कि बिल पास हो, लेकिन इसमें समय तो फिर भी लगता.
बंसल ने कहा कि बीजेपी अपने वायदे से मुकरी है. उन्होंने कहा कि यह बीजेपी का प्लान था कि राज्यसभा रात 12 बजे तक चले और मामला लटक जाए. उसे पता था कि लोकसभा पहले ही स्थगित हो चुकी है. विपक्ष की नीयत बिल्कुल साफ नहीं थी और यही कारण रहा कि कल के बहस के बाद भी राज्यसभा में लोकपाल बिल पास नहीं हो सका.
पवन बंसल ने कहा कि वे विपक्ष के इस आरोप से आहत हैं कि सरकार ने जान-बूझकर बिल को पास नहीं किया. पवन बंसल ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने सिर्फ राजनीति करने के लिए बिल को अटकाया.
राज्यसभा में लोकपाल विधेयक पारित कराने में नाकाम रही सरकार ने कहा कि विधेयक को निश्चित रूप से बजट सत्र में उच्च सदन में लाया जाएगा, वहीं कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि गुरुवार रात राज्यसभा की कार्यवाही का विस्तार करना संभव नहीं था.
कार्मिक राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने यहां कहा, 'हम इसे निश्चित तौर पर मार्च में बजट सत्र में लाएंगे. हमें विपक्षी दलों द्वारा लाये गये 187 संशोधनों का अध्ययन करना है क्योंकि अधिकतर संशोधन एक दूसरे से मिलते जुलते हैं. कुछ संशोधन केवल एक हिस्से से संबधित हैं पूरे खंड से नहीं. कुछ में पूरे विधयेक को ही हटाने की मांग की गयी है.'
उन्होंने कहा कि संशोधनों का अध्ययन करने के बाद सरकार इस बात पर विचार करेगी कि क्या स्वीकार करना है और क्या खारिज करना है और फिर विपक्षी दलों से बातचीत करेंगे.
दूसरी ओर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने सुबह ट्वीट किया, 'चर्चा वाले दिन शाम छह बजे तक 187 संशोधन दिये गये और वे भी एक दूसरे के विरोधाभासी हैं. सदन की कार्यवाही का विस्तार करना राज्यसभा के अधिकार क्षेत्र में नहीं है.'
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के पास समय है और उसे आम सहमति की कोशिश करनी चाहिए और मजबूत लागू करने योग्य लोकपाल विधेयक पारित करना चाहिए.
राज्यसभा में संप्रग के प्रमुख सहयोगी दल तृणमूल कांग्रेस द्वारा लाये गये संशोधनों के संदर्भ में नारायणसामी ने कहा कि उसकी आपत्ति राज्यों के लोकायुक्तों के गठन के संबंध में है और उन्हें लोकपाल से कोई शिकायत नहीं है.