फरवरी आ चुका है और फिजा में प्रेम घुल गया है, सही समय है वह सवाल पूछने का कि क्या है प्रेम?
दवा भी है प्रेम?
प्रेम मस्तिष्क की भूली-बिसरी राहों पर दस्तक देता है और लोगों को उत्साह से भरपूर कर देता है जिस वजह से वे दर्द भी भूल जाते हैं. अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसीन की पेन मैनेजमेंट यूनिट में हाल ही में हुआ अध्ययन तो यही कहता है.
प्रेम का स्नायुतंत्र ठीक उसी तरह काम करता है जैसे दर्दनिवारक दवाएं और नशीले पदार्थ जैसे हेराइन और कोकीन काम करते हैं. प्रेम के प्रभाव का अध्ययन करने पर न केवल प्रेम के बारे में अच्छी-खासी जानकारी हाथ लगेगी बल्कि दर्द और नशे के उपचार संबंधी तरीकों के बारे में पता चल ही जाएगा.
दिल दोषी या दिमाग?
प्रेम में पड़ता है कौन? दिल या दिमाग? नए शोध के मुताबिक तो दोषी संभवतः दिमाग ही है. प्रेम होता है तो मस्तिष्क के 12 क्षेत्र एक साथ सक्रिय हो जाते हैं और डोपामाइन, ऑक्सिटोन, एड्रेनालाइन और वासोप्रेसिन जैसे रसायनों का स्त्राव करने लगते हैं.{mospagebreak}
प्रेम की अनुभूति मस्तिष्क के उन बौद्धिक क्षेत्रों को भी प्रभावित करती है जो मेटाफर, बाँडी इमेज और मेंटल रिप्रेजेंटेशन जैसी जटिल बोध क्रियाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं. शोध में यह भी पता चला कि विभिन्न प्रकार का प्रेम अनुभव करने पर मस्तिष्क के कुछ हिस्से किस तरह सक्रिय हो जाते हैं. बीच मस्तिष्क में मौजूद दर्द और खुशी के केंद्र विभिन्न तरह के प्रेम के लिए विभिन्न गतिविधियों का प्रदर्शन करते हैं.
महज शब्दों का खेल?
केमिस्ट्री को भूल जाइए, दिलों के तारों को झंकृत तो शब्द करते हैं. साइकोलॉजिकल साइंस जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक उन जोड़ों के अरसे तक साथ जुड़े रहने की संभावना ज्यादा होती है जिनका बोलचाल का तरीका एक-सा होता है.
शोधकर्ताओं ने निजी सर्वनामों (आइ, हिज, देयर), पद(ए, दी), पूर्वसर्ग (इन, अंडर) और क्रिया-विशेषणों (वैरी, रादर) पर शोध केंद्रित किया है यानी वे शब्द जिनका दैनिक जीवन में प्रयोग होता है. यू का इस्तेमाल करने वालों की तुलना में आइ और वी का ज्यादा प्रयोग करने वाले जोड़े समस्याएं बेहतर ढंग से सुलझ पाते हैं.
{mospagebreak}आंखों का जादू चलता है
किसी की आंखों में आंखें डालकर देखने पर आप सामने वाले को और भी ज्यादा आकर्षक लगते हैं. ब्रिटेन के शोधकर्ता पहले के उन शोधों को चुनौती देते हैं जिनके मुताबिक आकर्षण का पूरा श्रेय शारीरिक लक्षणों को जाता है. जैसे महिलाओं में बड़े होंठ और पुरुषों में चौड़े जबड़े.
प्रोसिडिंग्स ऑफ रॉयल सोसायटी में जनवरी में प्रकाशित शोध कहता है कि आंखों में आंखें डालकर बात करने और मुस्कराने से आप ज्यादा आकर्षक दिखते हैं. निश्चित ही लोगों को ऐसे चेहरे पसंद होते हैं जो उन्हें देखना पसंद करते हैं. जी हां, आकर्षण का अर्थ सिर्फ शारीरिक सौंदर्य से ही नहीं है.