इंग्लैंड के पूर्व कप्तान टोनी ग्रेग ने आर्थिक फायदे के लिये टेस्ट की बजाय टी20 क्रिकेट को बढावा देकर खेल का नुकसान करने के लिये बीसीसीआई को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने डीआरएस का विरोध करने पर भी बीसीसीआई की कड़ी आलोचना की है.
लार्डस पर एमसीसी स्पिरिट आफ क्रिकेट काउड्रे व्याख्यान देते हुए ग्रेग ने कहा कि इंडियन प्रीमियर लीग और चैंम्पियंस लीग की कामयाबी से करोड़ों डालर कमाने पर आमादा बीसीसीआई के रवैये के कारण टेस्ट क्रिकेट की उपेक्षा हो रही है.
उन्होंने कहा कि भारत को खेल की समस्याओं के प्रति अपना स्वार्थी रवैया छोड़कर ‘क्रिकेट की भावना’ का अनुकरण करना चाहिये.
उन्होंने कहा, ‘भारत के लिये आईपीएल और चैम्पियंस लीग अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम से अधिक अहम हो गए हैं. भारत ने खेल का कुछ हिस्सा निजी हितों को बेच दिया है और इसके कुछ प्रशासकों के हितों के टकराव के कारण खेल भावना के अनुकूल काम करना मुश्किल हो गया है.’
ग्रेग ने कहा, ‘टेस्ट क्रिकेट के प्रति भारत के पक्षपातपूर्ण रवैये और कुछ खास मसलों पर उसके रूख, आईसीसी भ्रष्टाचार जांच को लेकर रवैये, डोपिंग निरोधक नियमों को लागू करने की शीघ्रता पर उदासीन रवैये, आईपीएल पर भ्रष्टाचार के कथित साये और आस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री जानउ हावर्ड को आईसीसी का उपाध्यक्ष बनाने से रोकने की प्रक्रिया के अभाव में इसकी भूमिका कुछ उदाहरण हैं.’
ग्रेग ने बीसीसीआई पर छोटे देशों को धमकाकर आईसीसी की बैठकों में उनके वोट हथियाने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘क्रिकेट पर बीसीसीआई का नियंत्रण अधिक है क्योंकि इसके पास आईसीसी की बैठकों में किसी भी प्रस्ताव का विरोध करने के लिये पर्याप्त वोट होते हैं. इसका कारण यह है कि कुछ देशों का गुजारा भारत से मिलने वाली आर्थिक सहायता के बिना नहीं चल सकता.’
ग्रेग ने कहा, ‘आईसीसी की कई समस्यायें सुलझ जायेगी यदि भारत स्वीकार कर ले कि करोड़ो डालर कमाने और क्रिकेटरों को धनकुबेर बनाने से अधिक महत्वपूर्ण क्रिकेट की भावना है.’ उन्होंने डीआरएस स्वीकार नहीं करने के लिये भी बीसीसीआई को आड़े हाथों लिया.
उन्होंने कहा, ‘यह खेल के लिये अच्छा नहीं है जब मीडिया की सुखिर्यों में खराब फैसले हों जिनसे खेल के नतीजे पर असर पड़ा हो. डीआरएस सौ फीसदी दुरूस्त नहीं है लेकिन इससे अंपायरों के फैसलों की कमियों को दूर किया जा सकता है.’
ग्रेग ने कहा, ‘इसे ठुकराने के भारत के पास दो कारण है. पहला यह कि इसके सुपरस्टार्स का शुरुआती दिनों में डीआरएस के साथ अनुभव अच्छा नहीं रहा और दूसरा बीसीसीआई का मानना है कि यह पूरी तरह दुरूस्त नहीं है. भारतीय सुपरस्टार क्रिकेटरों को चाहिये कि बहुमत के फैसले को माने और डीआरएस को स्वीकार करें.’