आरुषि-हेमराज हत्याकांड में अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह जरूरी दस्तावेज तलवार दंपति को मुहैया कराए. मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 मई की तारीख मुकर्रर की गई है.
गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि वह दस्तावेजों को तलवार दंपति को देने को तैयार है. सीबीआई ने कॉल डिटेल से संबंधित कागजात तलवार दंपति को देने से इनकार किया.
सीबीआई की विशेष अदालत ने आरुषि और हेमराज हत्याकांड में मुख्य आरोपी नुपूर और राजेश तलवार की इस याचिका पर अपना आदेश 14 मई तक सुरक्षित रखा कि मामले से जुड़े सीबीआई के तमाम दस्तावेज उन्हें मुहैया नहीं कराए गए हैं.
अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश श्याम लाल की अदालत, जिसे सीबीआई की विशेष अदालत के तौर पर प्राधिकृत किया गया है, ने तलवार की याचिका पर अपना औपचारिक फैसला 14 मई तक के लिए सुरक्षित रखा, क्योंकि मामले को सत्र अदालत को भेजे जाने के बाद पहले ही दिन तलवार दंपति के वकील ने शिकायत की थी कि उन्हें मामले से जुड़े सीबीआई के तमाम दस्तावेज मुहैया नहीं कराए गए हैं.
तलवार दंपति की याचिका का जवाब देते हुए सीबीआई के वकील आर के सैनी ने अदालत को बताया कि एजेंसी ने तमाम संबद्ध दस्तावेज उन लोगों को प्रदान कर दिए हैं और सिर्फ वही दस्तावेज अपने पास रोक लिए हैं जिनका उनके अभियोजन के लिए कोई औचित्य नहीं है.
न्यायाधीश ने पहले सीबीआई से मौखिक रूप से कहा कि ‘न्याय के हित में’ में तमाम दस्तावेज तलवार दंपति को दें. चूंकि तलवार दंपति ने दस्तावेज हासिल करने के लिए अदालत में औपचारिक रूप से अर्जी लगाई थी इसलिए उसपर औपचारिक आदेश सुनाने के लिए मामले की अगली सुनवाई 14 मई निर्धारित की गई.
अपनी याचिका में तलवार दंपती ने कहा था कि सीबीआई ने मामले से जुड़े सभी दस्तावेज उन्हें मुहैया नहीं कराए हैं. इनमें उत्तर प्रदेश पुलिस के प्रथम जांच अधिकारी दाताराम नौनेरिया द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट और उनके टेलीफोन कॉल का रिकार्ड शामिल है. सीबीआई ने हालांकि इसका जोरदार विरोध किया.
विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रीति सिंह ने इससे पहले नौ मई को मामले को सत्र अदालत के हवाले कर दिया था. उन्होंने तलवार दंपती की इस दलील को ठुकरा दिया कि इस मामले पर अभी मुकदमा नहीं चलाया जा सकता क्योंकि उन्हें अभियोजन संबंधी तमाम दस्तावेज नहीं दिए गए हैं.
आरुषि की 2008 में 16-17 मई की दरम्यानी रात को उसके नोएडा स्थित आवास में हत्या कर दी गई थी. घर के नौकर हेमराज का शव भी अगले दिन मकान की छत से बरामद किया गया था.
पिछले 4 साल से पूरे हिंदुस्तान के लिए पहेली बना हुआ आरुषि हत्याकांड एक नए मोड़ पर पहुंच रहा है. आरुषि हत्याकांड पर गाज़ियाबाद सेशन कोर्ट में ट्रायल शुरू हो गया. आरुषि और हेमराज की हत्या में सीबीआई को तलवार दंपति पर ही शक है.
आरुषि-हेमराज हत्याकांड में तलवार दंपति पर सीबीआई के शक करने की एक-दो नहीं, बल्कि कई वजहें हैं. आरुषि के कमरे की चाभी लॉबी में पड़ी थी, जबकि हमेशा तलवार दंपति उसे अपने पास रखते थे. वारदात के बाद जगह-जगह खून के निशानों को पोंछा गया था. आरुषि के कत्ल के बाद तलवार दंपति ने पुलिस को हेमराज की तलाश में बाहर भेजा.
इतना ही नहीं, खून के निशान मिलने पर भी तलवार दंपति ने पुलिस को छत की चाबी नहीं दी. छत पर मिली हेमराज की लाश को राजेश तलवार ने पहचानने से इनकार किया. आरुषि की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हेरफेर करने के लिए दबाव भी बनाया गया. कत्ल के बाद गायब गोल्फ स्टिक के मिलने के बाद भी तलवार दंपति ने उसपर पॉलिश कर दी.
आरुषि और हेमराज का गला खास सर्जिकल ब्लेड से काटा गया, जिसे डॉक्टर इस्तेमाल करते हैं. डाइनिंग टेबल पर रखी स्कॉच की बोतल पर आरुषि और हेमराज के खून के निशान थे.
डॉक्टर तलवार ने इंटरनेट को सुबह 3 बजकर 43 मिनट पर बंद किया, जबकि आरुषि का कत्ल रात 12 से एक के बीच हुआ. तलवार दंपति और आरुषि के कमरे के बीच लकड़ी की दीवार थी, फिर भी आरुषि की चीख नहीं सुनाई दी.
16 मई, 2008 को हुए आरुषि-हेमराज हत्याकांड की कड़ियां कहीं न कहीं तलवार दंपति से जुड़ती हैं, लेकिन सीबीआई भी मानती है कि दोहरे हत्याकांड में तलवार दंपति के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं हैं. ऐसे में, अब सबकी नजरें कोर्ट पर टिकी हैं.