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अब तक मारे गए हैं 12 आरटीआई कार्यकर्ताः रिपोर्ट

एक साल के दौरान सूचना का अधिकार (आरटीटाई) के कम से कम 12 कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं. यह बात शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई है. हाल ही में भोपाल की शेहला मसूद की हत्या ने तो इन कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.

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सूचना का अधिकार
सूचना का अधिकार

एक साल के दौरान सूचना का अधिकार (आरटीटाई) के कम से कम 12 कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं. यह बात शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई है. हाल ही में भोपाल की शेहला मसूद की हत्या ने तो इन कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.

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एशियन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स (एसीएचआर) की रिपोर्ट 'आरटीआई एक्टिविट्सः सिटिंग डक्स ऑफ इंडिया' में कहा गया है कि जनवरी 2010 से लेकर अगस्त 2011 तक मसूद सहित कम से कम 12 कार्यकर्ता मारे गए हैं. इन सबका गुनाह महज यह था कि ये सभी देश में 'पारदर्शिता को बढ़ावा और प्रत्येक सरकारी प्राधिकरण के कामकाज में विश्वसनीयता' के बारे में जानकारी चाहते थे.

भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चलाने वाली मसूद 16 अगस्त की सुबह भोपाल के कोह-ए-फिजा इलाके में अपने घर के बाहर जब अपनी कार में बैठीं तो उनके गले में गोली मार दी गई. उनकी हत्या से समूचा मध्य प्रदेश और देशभर के आरटीआई कार्यकर्ता शोकाकुल हो उठे.

केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने मसूद की हत्या की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का संकेत दिया है.

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एसीएचआर के सुहास चकमा ने कहा, ‘यहां तक कि एक पुलिसकर्मी (या पुलिस का मददगार) भी सूचना का अधिकार कानून, 2005 के तहत जानकारी चाहने पर मौत से बच नहीं सकता. 25 जून 2010 को उत्तर प्रदेश के होम गार्ड बब्बू सिंह कथित तौर पर सरकारी राशि और उत्तर प्रदेश के अपने कटघर गांव में ग्राम प्रधान द्वारा कराए गए कार्यो के बारे में जानकारी चाहने पर मारा गया था.’

उन्होंने कहा, ‘कई लोगों को गंभीर शारीरिक यातना देने की घटनाएं आए दिन होती रहती हैं. अपनी ग्राम पंचायत तथा स्थानीय प्रशासन से जानकारी मांगने वाले को भी सामाजिक द्वेष का सामना करना पड़ता है लेकिन आरटीआई कार्यकर्ता पर हमले कमोबेश समाचार नहीं बनते.’

चकमा के अनुसार मानवाधिकार के पक्षधरों के बीच आरटीआई कार्यकर्ता बहुत ही असुरक्षित माने जाते हैं.

रिपोर्ट की अनुशंसा है कि सरकार को आरटीआई कानून में संशोधन करना चाहिए तथा जानकारी मांगने वालों की सुरक्षा पर एक अलग अध्याय जोड़ा जाना चाहिए.

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