द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि ने दावा किया कि 2010 में यूपीएससी परीक्षा में होने वाले बदलावों के चलते हिंदी-भाषी उम्मीदवारों को फायदा हुआ था. उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से तमिल-भाषी अभ्यर्थियों को भी इस तरह का फायदा पहुंचाने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की.
करुणानिधि ने प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में कहा कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सेवा परीक्षा में बदलाव किये थे और सवालों को नये प्रारूप में इस तरह तैयार किया गया था कि अंग्रेजी में कुशल उम्मीदवार दो घंटे के तय समय में उत्तर देने में सफल रहे.
उन्होंने कहा, ‘हालांकि इस तरह के सवाल हिंदी में अनुवादित भी किये गये. इसलिए जो उम्मीदवार हिंदी में निपुण हैं, वे हिंदी संस्करण को पढ़कर सवालों को आसानी से समझ सकते हैं.’
करुणानिधि ने पत्र में लिखा है कि हिंदी-भाषी उम्मीदवारों ने तो अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन तमिलनाडु के लोगों के लिए चुनौती रही. उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा प्रणाली संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है.
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के उम्मीदवारों का मानना है कि हिंदी.भाषी लोगों को दिया जाने वाला लाभ उन्हें भी मिलना चाहिए.
करुणानिधि ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है, ‘कृपया इस मुद्दे के समाधान के लिए हस्तक्षेप करें जिसका भविष्य में देश की नीतियों और कार्यक्रमों पर दीर्घकालिक असर पड़ सकता है.’