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ईरानी तेल आयात प्रतिबंधों से भारत मुक्त

भारत और अमेरिका के बीच वाशिंगटन में होने वाली रणनीतिक बातचीत से एक दिन पहले अमेरिका ने भारत तथा छह अन्य देशों को ईरानी तेल आयात सम्बंधी सख्त प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया है.

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भारत और अमेरिका के बीच वाशिंगटन में होने वाली रणनीतिक बातचीत से एक दिन पहले अमेरिका ने भारत तथा छह अन्य देशों को ईरानी तेल आयात सम्बंधी सख्त प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया है.

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भारत को प्रतिबंधों से मुक्त कर अमेरिका ने अपनी रणनीतिक बातचीत से एक विवादास्पद मुद्दे को हटा दिया है. यह बातचीत अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और भारतीय विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा की सह-अध्यक्षता में बुधवार को वाशिंगटन में शुरू होने जा रही है.

भारत के अलावा मलेशिया, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, तुर्की और ताईवान को भी प्रतिबंधों से मुक्त किया गया है. ईरानी कच्चे तेल के दो शीर्ष खरीददारों चीन व सिंगापुर को प्रतिबंधों के अंदर रखा गया है. इस महीने के अंत में इन दोनों देशों पर जुर्माना लगाया जा सकता है.

हिलेरी क्लिंटन ने सोमवार को कहा था कि जिन देशों को प्रतिबंधों से मुक्त किया गया है, उन सभी ने ईरान से कच्चे तेल की खरीददारी में काफी कमी लाई है. हिलेरी ने कहा, 'ईरानी तेल की बिक्री कम करके हम वहां के नेताओं को एक निर्णायक संदेश भेज रहे हैं: जब तक वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताएं दूर करने और उन्हें संतुष्ट करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाते, तब तक वे अलगाव व दबाव का सामना करेंगे.'

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अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, 'हमने ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के अपने प्रयासों के समर्थन में और उसे उसके अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ये प्रतिबंध लागू किए हैं.'

उन्होंने कहा, 'अमेरिका अपनी दोहरी नीति पर प्रतिबद्ध है. इसके तहत ईरान को मौका दिया जाता है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर हमारी चिंताओं को दूर करने के लिए पी5 प्लस 1 देशों के साथ बातचीत के जरिए अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय के साथ गम्भीरता से आदान-प्रदान करे.'

हिलेरी ने कहा, 'ईरान, मास्को में अगले दौर की बातचीत के दौरान इन चिंताओं का समाधान कर सकता है. मैं ईरानी नेताओं से ऐसा करने का आग्रह करती हूं.' अमेरिकी ऊर्जा विभाग के मुताबिक, सोमवार को प्रतिबंधों से मुक्त किए गए भारत और दक्षिण कोरिया, पिछले साल के शुरुआती छह महीनों में ईरानी तेल के तीसरे व चौथे सबसे बड़े खरीददार थे.

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