अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रविवार को उत्तर कोरिया पर दबाव बनाते हुए कहा कि उसे अपनी रॉकेट प्रक्षेपण की योजना छोड़ देनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि यह खाद्य सहायता करार को विफल बनाने के साथ ही निरस्त्रीकरण वार्ता बहाल करने की संभावनाओं को क्षीण करेगा.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली म्यंग-बाक के साथ वार्ता के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ओबामा ने कहा, इससे उत्तर कोरिया को चेतावनी अथवा उकसावे के सिवाय कुछ भी हासिल नहीं होगा.
ज्ञात हो कि ओबामा परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रविवार सुबह सियोल पहुंचे. दो दिनों तक चलने वाले सम्मेलन की शुरुआत सोमवार को होगी.
वहीं, उत्तर कोरिया का दावा है कि वह अंतर्राष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए रॉकेट का प्रक्षेपण करेगा. साथ ही उसने प्योंगयांग के प्रति 'शत्रुतापूर्ण नीति' जारी रखने वाले देशों की निंदा की है.
दक्षिण कोरिया एवं अमेरिका का मानना है कि उत्तर कोरिया रॉकेट प्रक्षेपण के जरिए लंबी दूरी तक मार करने वाली अपनी मिसाइल का परीक्षण करना चाहता है. यह मिसाइल अपने साथ परमाणु हथियारों को भी ले जा सकती है.
वाशिंगटन ने चेतावनी दी है कि प्योंगयांग के साथ खाद्य सहायता करार पर जो सहमति बनी है, प्रस्तावित प्रक्षेपण उसे विफल बना सकता है.
ओबामा ने कहा कि तनाव के समय में उत्तर कोरिया को खाद्य सहायता उपलब्ध कराना मुश्किल होगी. उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया को उसके परमाणु कार्यक्रमों से दूर रखने के उद्देश्य से छह-देशों की वार्ता बहाल होने की संभावनाएं भी धूमिल हो सकती हैं.
इसके पहले ओबामा ने उत्तर एवं दक्षिण कोरिया को विभाजित करने वाले असैन्यकृत क्षेत्र (डीएमजेड) का अपना पहला दौरा किया.
ज्ञात हो कि 2.5 मील चौड़े इस असैन्यकृत भूभाग का कंटीले तारों से घेराव किया गया है. डीएमजेड वर्ष 1953 से उत्तर एवं दक्षिण कोरिया को एक-दूसरे को अलग किए हुए है.
प्रायद्वीप में हाल में उभरे तनाव के बाद अपने सहयोगी दक्षिण कोरिया की सुरक्षा के प्रति वाशिंगटन की प्रतिबद्धता दिखाने के लिए ओबामा ने डीएमजेड का दौरा किया.