निर्मल बाबा के चमत्कारों और फिर उन्हीं चमत्कारों की पोल खुलते हुए पूरे देश ने देखा. निर्मल बाबा के चमत्कारों का भांडा फूटने से और देश के और भी बाबा नजर में आ गए हैं. उन्हीं में एक नाम है पॉल बाबा यानी पॉल दिनाकरन.
उन्हीं में एक नाम है पॉल बाबा यानी पॉल दिनाकरन. दक्षिण भारत के इस धर्म प्रचारक पर बीजेपी की दिग्गज नेता उमा भारती ने निशाना साधा है.
उमा भारती ने साफ-साफ कहा है कि जब निर्मल बाबा के कृपा बांटने पर लोगों को शंका है तो फिर अपने भक्तों के उद्धार का दावा करने वाले ईसाई धर्म गुरु पॉल दिनाकरन पर क्यों नहीं सवाल खड़े हो रहे हैं.
कृपा बरसाने वाले बाबा की मिली जुली खबरें सामने आने के बाद कई भक्तों ने निर्मल बाबा के पक्ष में आवाज बुलंद की तो वहीं देश के कई शहरों में निर्मल बाबा का विरोध हुआ भी. कई लोगों ने तो निर्मल बाबा के खिलाफ अदालत में मुकदमा तक दर्ज करा दिया है.
सवालों के घेरे में निर्मल बाबा तो आ ही चुके हैं, लेकिन अब सवाल निर्मल बाबा के इतर उन लोगों पर भी उठाए जाने लगे हैं जो अपने भक्तों पर कृपा बरसाने का दावा करते हैं. बीजेपी की दिग्गज नेता उमा भारती के बयान ने तमिलनाडु के धर्मगुरु पॉल दिनाकरन को कटघरे में खड़ा कर दिया है.
उमा भारती का साफ कहना है कि जब निर्मल बाबा को सवालों के कठघरे में खड़ा किया गया है तो फिर कृपा बरसाने वाले बाकी धर्मगुरुओं को इसकी जद से बाहर क्यों रखा जाए.
निर्मल बाबा ने खुद अपनी जुबानी ही कबूल किया था कि उनके जरिए उनके भक्तों पर कृपा बरसती है. वो इसका माध्यम हैं तो वहीं दक्षिण भारत के धर्मगुरु पॉल दिनाकरन के बारे में भी कहा जाता है कि वो अपने भक्तों पर सीधे ईसा की कृपा बरसाते हैं.
वहीं दूसरी ओर निर्मल बाबा ने माना था कि उनका सालाना टर्नओवर करीब 235 करोड़ रुपए का है तो धर्मगुरु पॉल दिनाकरन के बारे में भी कहा जाता है कि उनकी संपत्ति का आंकड़ा 5 हजार करोड़ से भी पार जाता है.
उमा भारती ने निर्मल बाबा की आड़ में पॉल दिनाकरन का जिक्र तो छेड़ दिया है लेकिन सवाल यहां भी खड़ा हो रहा है कि कहीं उमा इसी बहाने अपनी कोई राजनीति तो नहीं साधना चाहती हैं, या फिर उमा इसी के सहारे मामले को कहीं दूसरी ओर तो नहीं मोड़ना चाह रही हैं.
सवाल ये कि उन्होंने पॉल दिनाकरन का ही नाम क्यों लिया.
उमा भारती ने बाबाओं के कृपा स्टोर बंद करने की हिमायत की तो कई राजनेताओं ने उनका समर्थन किया, हालांकि ज्यादातर नेता ये मानते हैं कि किसी सभी धर्मों में इस तरह भक्तों में अंधी आस्था बांटने वालों पर लगाम लगाई जानी चाहिए.