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एयर इंडिया को सरकार देगी 30 हजार करोड़ रुपये

वित्तीय संकट से जूझ रही एयर इंडिया को बड़ी राहत देते हुए सरकार ने एक कायाकल्प योजना को मंजूरी दी ताकि इस विमानन कंपनी के परिचालन और वित्तीय स्थिति को ठीक किया जा सके. इस सहायता में अतिरिक्त पूंजी डालना भी शामिल है.

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एयर इंडिया
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वित्तीय संकट से जूझ रही एयर इंडिया को बड़ी राहत देते हुए सरकार ने एक कायाकल्प योजना को मंजूरी दी ताकि इस विमानन कंपनी के परिचालन और वित्तीय स्थिति को ठीक किया जा सके. इस सहायता में अतिरिक्त पूंजी डालना भी शामिल है.

नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि एयर इंडिया की कायाकल्प योजना को मंजूर कर लिया गया है. सीसीईए ने कायाकल्प योजना (टैप) और विमानन कंपनी की वित्तीय पुनर्गठन योजना (एफआरपी) को मंजूर कर लिया है जिसमें सरकार द्वारा अतिरिक्त इक्विटी डाला जाना शामिल है.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा सीसीईए ने बहुप्रतीक्षित बोइंग ड्रीमलाईनर-787 को शामिल करने को भी हरी झंडी दे दी.

उन्होंने बताया कि विदेशी विमानन कंपनियों को भारतीय विमानन कंपनियों में निवेश की मंजूरी के मामले पर मंत्रिमंडल की अगले सप्ताह होने वाली बैठक में विचार किया जा सकता है.

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विमानन कंपनी पुनर्गठन योजना के तहत सरकार ने आम बजट 2012-13 में चालू वित्त वर्ष के दौरान 4,000 करोड़ रुपए की सहायता की घोषणा की थी. इससे विमानन कंपनी का इक्विटी आधार बढ़कर 7,345 करोड़ रुपए हो जाएगा.

अमेरिकी विमान विनिर्माता बोइंग को 2005 में जिन विमानों के लिए आर्डर दिया गया था उनमें से 27 ड्रीमलाईनर की आपूर्ति एयरइंडिया को अगले महीने होने की उम्मीद है. शुरूआत में इन विमानों की आपूर्ति 2009 से शुरू होनी थी लेकिन अमेरिकी विमान निर्माता ने इसे कई वजहों से टाल दिया था.

किंगफिशर एयरलाइंस घरेलू विमानन कंपनियों में विदेशी एयरलाइंस को हिस्सेदारी खरीद की अनुमति देने की जोरदार तरीके से वकालत कर रही है. जेट एयरवेज और एकमात्र मुनाफे में चल रही एयरलाइन कंपनी इंडिगो हालांकि इस प्रस्ताव का विरोध कर रही हैं. इस मुद्दे पर अभी तक मिलाजुला रुख देखने को मिला है. यहां तक कि योजना आयोग ने भी 12वीं पंचवर्षीय योजना में विमानन क्षेत्र पर अपने दस्तावेज में इस बात को स्वीकार किया है कि इस मुद्दे पर सहमति नहीं है.

जहां इस प्रस्ताव के समर्थकों का कहना है कि इससे संकटग्रस्त एयरलाइंस को फायदा होगा. बैंक एयरलाइंस को न तो रिण देने के इच्छुक हैं और न ही उनमें हिस्सेदारी लेने के. वहीं इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि इससे विदेशी एयरलाइंस को भारतीय एयरलाइंस को निशाना बनाने का मौका मिलेगा और बाद में वे उनका अधिग्रहण कर सकेंगी.

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