सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह अपने कार्यकाल के दौरान लगातार विवादों से जुड़े रहे. वो कभी जन्मतिथि को लेकर विवादों में रहे तो कभी प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी के लीक हो जाने पर सुर्खियों में रहे. पिछले कुछ समय से उनके संबंध रक्षा मंत्रालय से ठीक नहीं चल रहे हैं. जानिए किन किन विवादों से रहा जनरल वी के सिंह का नाता.
जन्मतिथि विवादः
सेना प्रमुख वी के सिंह जिस एक विवाद के लिए सबसे ज्यादा याद किए जाएंगे वो है उनकी उम्र का विवाद. रिकार्ड के मुकाबिक सेना प्रमुख वी के सिंह का जन्म 1950 में हुआ. इससे उन्हें कोर कमांडर, सेना कमांडर और अंततः सेना प्रमुख के रूप में तीन महत्वपूर्ण प्रोन्नतियां मिलीं. लेकिन जनरल वी.के. सिंह अब चाहते हैं कि सरकार उनकी जन्मतिथि 1951 की कर दे. जनरल वी.के. सिंह ने रक्षा मंत्रालय को एक विस्तृत वैधानिक शिकायत भेजी.
उनकी सबसे बड़ी दलील यह थी कि उनके जन्म प्रमाणपत्र और एसएससी प्रमाणपत्र में उनकी जन्मतिथि 10 मई, 1951 दर्ज है. जनरल वी.के. सिंह का कहना है कि सेना सचिव का प्रभाग 1971 में उनका एसएससी प्रमाणपत्र मिलने के बाद रिकॉर्ड को अपडेट नहीं कर सका. एंटनी ने इस नई शिकायत पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा है कि उनका फैसला नहीं बदलेगा. सरकार द्वारा उनकी दलील को ठुकराये जाने के बाद वो इस मामले को लेकर वो सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक गए.
हालांकि, इसी साल 10 फरवरी को उन्होंने अपनी रिट याचिका वापस ले ली. कोर्ट ने यह माना कि सिंह के जन्मतिथि में कोई विवाद नहीं है लेकिन उसने इस बात की तहकीकात करनी चाही कि आखिर कैसे इस तारीख को दर्ज किया गया. कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि सिंह ने तीन अवसरों पर गलत जन्मतिथि को स्वीकार किया.
सुकना जमीन घोटाला
सुकना घोटाले से ही सुर्खियों में वी के सिंह का नाम आने लगा. सुकना घोटाले का खुलासा जब हुआ तब वी के सिंह सेना की ईस्टर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिग इन चीफ थे. इसी कमांड में सुकना घोटाले का खुसाला हुआ था.
सुकना जमीन घोटाला 2008 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के नजदीक सुकना सैन्य प्रतिष्ठान के नजदीक स्थित 71 एकड़ जमीन एक शैक्षणिक संस्थान के निर्माण के लिए एक निजी कारोबारी को अवैध हस्तांतरण से जुड़ा है. इसमें इसमें सेना के तीन लेफ्टिनेंट रैंक के अधिकारियों की कोर्ट मार्शल की सिफारिश की गई थी. जिन तीन लोगों के खिलाफ कोर्ट मार्शल की सिफारिश की गई थी वो हैं पूर्व सैन्य सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश, लेफ्टिनेंट जनरल रमेश हलगली और लेफ्टिनेंट जनरल पीके रथ.
सेनाध्यक्ष को घूस की पेशकश
सेनाध्यक्ष जनरल वी.के. सिंह ने एक इंटरव्यू में यह खुलासा किया कि उन्हें सेना के लिए घटिया वाहनों की खरीद के लिए 14 करोड़ की घूस की पेशकश की गई. इसके बाद सरकार को इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश देने पड़े.
चिट्ठी लीक मामला
आर्मी चीफ जनरल वीके सिंह की ओर से एक और बड़ा धमाका तब हुआ जब सेना प्रमुख की प्रधानमंत्री को भेजी चिट्ठी लीक हो गई. इसमें सेनाप्रमुख ने देश की सुरक्षा को खतरे में बताया था. एक अखबार के मुताबिक उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिट्ठी में लिखा कि फौज के टैंक का गोला-बारूद खत्म हो चुके है. पैदल सेना के पास हथियारों की कमी है. इतना ही नहीं हवाई सुरक्षा के उपकरण भी अपनी ताकत खो चुके हैं.
टाट्रा ट्रकों की खरीद के तरीके में गड़बड़ी
जनरल वी के सिंह के कार्यकाल में ही कर्नाटक से कांग्रेस के पूर्व सांसद एच. हनुमंतप्पा ने रक्षा मंत्रालय द्वारा चेक गणराज्य में बनी टाट्रा ट्रकों की खरीद के तरीके में कथित गड़बड़ी के आरोप लगाए. उनके पास एक गोपनीय रिपोर्ट भी थी जिसे भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) के एक कर्मचारी ने तैयार किया था. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि बंगलुरू स्थित रक्षा क्षेत्र की इस सार्वजनिक इकाई ने ट्रकों की खरीद में रक्षा खरीद नियमों का उल्लंघन करते हुए इसे मूल निर्माता से खरीदने की बजाए ब्रिटेन के एक एजेंट रविंदर कुमार ऋषि से खरीदा. उनके मुताबिक, ट्रकों की कीमत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया था. इन्हें 40 से 80 लाख रु. प्रत्येक की कीमत पर मंगवाया गया, लेकिन बीईएमएल ने इसे दोगुने दाम पर रक्षा मंत्रालय को बेचा. यानी 100 फीसदी से ज्यादा का फायदा.
रक्षा खरीद को मंजूरी नहीं मिलना
भारतीय वायु सेना में 126 लड़ाकू विमानों को शामिल करने से जुड़े सौदे की प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगने के बाद इस पर तत्काल रोक लगा दी गई. 18 अरब डॉलर (90,000 करोड़ रु.) के इस सौदे में गड़बड़ियों के आरोपों के कारण रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने विमान आपूर्ति के लिए फ्रांसीसी फर्म डेसाल्ट का चयन करने के अपने मंत्रालय के फैसले की विभागीय जांच के आदेश दिए. विमानों का मूल्यांकन करने की प्रक्रिया पर एक सांसद के संदेह जताने के बाद एंटनी ने यह कदम उठाया.
सेना का दिल्ली कूच
04 अप्रैल 2012 को एक प्रमुख दैनिक अखबार ने यह खुलासा किया कि 16 जनवरी की देर रात राजधानी की ओर सेना की 2 टुकड़ी बढ़ रही थी. इस पर जनरल वी के सिंह ने कहा कि 16-17 जनवरी को सेना की दो इकाइयों का दिल्ली के लिए कूच करना एक नियमित गतिविधि थी और सरकार को इसके बारे सूचित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी. जनरल सिंह ने कहा, 'किस लिए सूचना दी जाती? क्या हो रहा था? हम ऐसा अक्सर करते रहते हैं.'