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आकाश में दिखा शुक्र का दुर्लभ पारगमन

बुधवार की सुबह कोई मामूली सुबह नहीं है. शुक्र सूरज के सामने है. आसमान में जो खगोलीय दृश्य देखा जा रहा है, वो मानव सभ्यता के इतिहास में अब से पहले सिर्फ सात बार देखा गया है और ऐसा नजारा दुबारा 105 साल बाद देखा जाएगा.

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देशभर में बुधवार सुबह आकाश में शुक्र के पारगमन की दुर्लभ खगोलीय घटना दिखी. इस सदी में शुक्र के अनोखे संचरण की यह अंतिम घटना है. वैज्ञानिकों और शौकिया खगोल विज्ञानियों में शुक्र के पारगमन को लेकर बेहद उत्साह देखा गया.

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इस घटना में सूर्य की सतह पर गहरा काला धब्बा दिखा. यह नजारा देशभर में दिखा. हालांकि आसमान में बादल छाए होने की वजह से दिल्ली और उत्तर भारत के कुछ अन्य हिस्सों में इसे देखने में बाधा उत्पन्न हुई. नेहरू तारामंडल की निदेशक एन रत्नाश्री ने बताया, ‘इस सदी में शुक्र का यह अंतिम पारगमन है.’

उन्होंने बताया कि नजारा सुबह करीब सात बजे देखा गया. लोगों को इस खगोलीय नजारे को दिखाने के लिए तारामंडल में बड़े-बड़े प्रोजेक्टर, कैमरे और दूरबीन लगाई गई थीं जहां बड़ी संख्या में लोग जुटे. बी. टेक के छात्र अंकित शर्मा ने कहा, ‘इस तरह की घटना को देखना काफी रोमांचक है.’

स्कूल शिक्षिका निशा गुप्ता ने कहा, ‘यह काफी विस्मयकारी घटना है.’ वह इस तरह का नजारा 2004 में भी देख चुकी हैं. साइंस पॉपुलराइजेशन एसोसिएशन ऑफ कम्यूनिकेटर्स एंड एजूकेटर्स (स्पेस) के निदेशक सीबी देवगन ने बताया, ‘शुक्र का अगला पारगमन अब 105 साल पांच महीने बाद 2117 में होगा.’ देवगन ने कहा कि यह घटना तब होती है जब शुक्र ग्रह सूर्य और धरती के बीच से गुजरता है.

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पृथ्वी से केवल दो ग्रहों, बुध तथा शुक्र को सूर्य का पारगमन करते देखा जा सकता है. 1609 में दूरबीन के आविष्कार के बाद से अब तक शुक्र के 7 पारगमन हो चुके हैं. ये पारगमन 243 वर्ष में एक बार दोहराए जाते हैं. जिसमें 8 वर्ष के अंतराल से दो पारगमन दिसंबर में होते हैं. फिर 121.5 वर्ष बाद 8 वर्ष के अंतराल से दो पारगमन जून के महीने में होते हैं.

20वीं शताब्दी में शुक्र का कोई पारगमन नहीं हुआ. 1874 तथा 1882 के जोड़े के बाद पहला पारगमन 8 जून 2004 को हुआ. और इस जोड़े का दूसरा पारगमन 6 जून 2012 को हो रहा है. यानी अगर आप 6 जून का वीनस ट्रांजिट नहीं देख पाते हैं तो आपको 105 साल और इंतजार करना होगा यानी आप फिर कभी वीनस ट्रांजिट नहीं देख पाएंगे.

सूरज पर काले टीके का दृश्य अदभुत है, लेकिन इसे देखने के लिए काफी सावधानी बरतने की जरूरत है. जानें कि कैसे आप सूरज पर लगने वाले काले टीके को देख सकते हैं. पॉलीमर से बने फिल्टर से देखने पर सूरज की ये छवि आपको साफ दिखाई देगी. खास बात ये है कि पॉलीमर का फिल्टर उस वक्त विजुअल की तीव्रता 1 लाख गुना कम कर देता है.

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जिससे आंखो पर इसका असर नहीं होता. इसके अलावा टेलीस्कोप के जरिए इसे देखा जा सकता है. यहीं नहीं अगर आपके पास सोलर इक्लिप्स गॉगल यानी सूर्य ग्रहण देखने वाला खास चश्मा है तो इससे भी आप सूरज और शुक्र के मिलन को देख सकते हैं. इससे पहले 8 जून 2004 को वीनस ट्रांजिट हुआ था. उस वक्त पूरी दुनिया से इसे देखने के लिए एक से एक बढ़कर एक प्रयोग किए थे.

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