महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में गरीबी और कपास की कीमतों में गिरावट से तंग आकर कर्ज तले दबे तीन और किसानों ने गुरुवार को आत्महत्या कर ली. यह जानकारी एक सामाजिक कार्यकर्ता ने शुक्रवार को दी है.
विदर्भ जन आंदोलन समिति के किशोर तिवारी ने कहा कि वाशिम जिले में गरम महसाल निवासी गजानन थोरात, यवतमाल जिले के वाडनेर की कमलाबाई चव्हाण और कोथोडा के गजानन घोटेकर ने गुरुवार और शुक्रवार के बीच आत्महत्या कर ली है.
तिवारी ने कहा कि किसानों ने इसलिए आत्महत्या की, क्योंकि निर्यात पर प्रतिबंधों के कारण कपास की कीमतें अचानक नीचे आ गईं, और इसलिए भी क्योंकि सरकार की ओर से उन्हें कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली.
तिवारी ने कहा कि एक किसान घोटेकर ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है, 'कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को वोट मत दीजिए...दोनों दल इस देश को चौपट कर देंगे.'
तिवारी के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने पिछले दिसम्बर में कपास किसानों के लिए 2,000 करोड़ रुपये के एक राहत पैकेज की घोषणा की थी. 'लेकिन अभी तक संकटग्रस्त किसानों को एक भी पैसे का भुगतान नहीं हुआ और वे लगातार कर्ज के बोझ से दबे जा रहे हैं.'
तिवारी ने कहा कि उस समय किसान निर्यात के कठोर नियमों के कारण पीड़ित थे, जिसके चलते कच्चे कपास की कीमत 4,200 रुपये प्रति कुंटल से गिरकर 3,400 प्रति कुंटल हो गई थी.
तिवारी ने कहा कि जब देश में 330 लाख गांठ कपास का उत्पादन होता है और घरेलू खपत केवल 200 लाख गांठ कपास की ही है, ऐसे में निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का कोई कारण नहीं बनता.
ज्ञात हो कि विदर्भ में किसानों की आत्महत्या का सिलसिला लगातार जारी है और 2011 में इस क्षेत्र में 918 किसान आत्महत्या कर चुके हैं.