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बेहतरीन गायक भी थे संगीतकार सचिन देव बर्मन

हिंदी और बांग्ला फिल्मों में सक्रिय सचिन देव बर्मन अपने गानों में लोकधुनों, शास्त्रीय और रवीन्द्र संगीत का आकषर्क मिश्रण करने वाले संगीतकार होने के साथ ही बेहतरीन गायक भी थे.

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सचिन देव बर्मन
सचिन देव बर्मन

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सचिन देव बर्मन की पुण्यतिथि 31 अक्तूबर पर विशेष
हिंदी और बांग्ला फिल्मों में सक्रिय सचिन देव बर्मन अपने गानों में लोकधुनों, शास्त्रीय और रवीन्द्र संगीत का आकषर्क मिश्रण करने वाले संगीतकार होने के साथ ही बेहतरीन गायक भी थे.

हिंदी सिनेमा में 1950 और 60 के दशक में विशेष रूप से सक्रिय सचिन देव बर्मन के गानों में विरह, आशावाद और दर्शन के अलावा रूमानियत की झलक भी खूब दिखती है. अपनी धुनों से हर वर्ग के संगीत प्रेमियों का मन मोह लेने वाले सचिन देव बर्मन फिल्मों में आने के पहले रेडियो पर प्रसारित पूर्वोत्तर लोक संगीत के कार्यक्रमों के जरिए अपनी पहचान बना चुके थे.

युवावस्था में वह पूर्वोत्तर के राज्यों और पश्चिम बंगाल में खूब घूमे जिससे उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों के लोकसंगीत की अच्छी जानकारी हो गयी और इसका बहुत अच्छा उपयोग उन्होंने अपनी धुनों में किया. उन्होंने पश्चिमी संगीत को भारतीय रंगढंग में ढालकर कर्णप्रिय संगीत दिया.

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त्रिपुरा के शाही परिवार में एक अक्तूबर 1906 को पैदा सचिन देव की रूचि शुरू से ही संगीत में थी और उन्होंने इसकी विधिवत शिक्षा भी ली. शास्त्रीय और रवींद्र संगीत के विशेषज्ञ सचिन देव एक बेहतरीन गायक भी थे. उनके निधन के तीन दशक से अधिक हो चुके हैं लेकिन उनके संगीतबद्ध गीतों के साथ ही उनके गाए गीतों को पसंद करने वालों की अब भी अच्छी संख्या है.

सचिन देव ने गाइड में अल्ला मेघ दे, पानी दे.., वहां कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा कहां.., फिल्म प्रेम पुजारी में प्रेम के पुजारी हम हैं.., फिल्म सुजाता में सुन मेरे बंधु रे, सुन मेरे मितवा जैसे गीतों को अपनी आवाज देकर उन्हें अमर बना दिया. उन्होंने फिल्म तलाश, बंदिनी, अमर प्रेम आदि फिल्मों में भी गानों को अपनी आवाज दी.

उनके गाए कई गीतों में विरह के अलावा दर्शन की भी झलक मिलती है. ऐसे प्रतिभाशाली संगीतकार के लिए भी हिंदी फिल्मों में कदम जमाना कठिन साबित हुआ और वह एक समय वापस कोलकाता लौटने का मन बना चुके थे. लेकिन दिग्गज अभिनेता अशोक कुमार की बात मानते हुए वह रूक गए जो हिंदी सिनेमा के संगीत के लिहाज से वरदान साबित हुआ.

सचिन देव ने देव आनंद के नवकेतन बैनर के अलावा विमल राय, गुरू दत्त, रिषिकेश मुखर्जी की कई फिल्मों में बेहतरीन संगीत दिया. 1969 की फिल्म आराधना में भी उनका ही संगीत था. इस फिल्म से एक ओर सुपरस्टार राजेश खन्ना का उदय हुआ वहीं गायक किशोर कुमार के करियर को भी नयी उंचाई मिली.

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सचिन देव उन संगीतकारों में थे जिन्होंने बदलते वक्त के साथ तालमेल बिठाए रखा और जब उनके साथ के संगीतकारों का जादू खत्म होने लगा था, उस दौर में भी उनका संगीत लोकप्रिय होते रहा. 1970 के दशक में उन्होंने शर्मीली, तेरे मेरे सपने, फागुन, अभिमान, मिली, चुपके चुपके जैसी फिल्मों में हिट संगीत दिया. लेकिन बाद के दिनों में स्वास्थ्य साथ छोड़ने लगा और अंतत: 31 अक्तूबर 1975 को इस प्रतिभाशाली संगीतकार का निधन हो गया.

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