केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में खराब मानसून के कारण पिछले दो वर्षो के रिकॉर्ड फसल उत्पादन के स्तर पर पहुंचना इस वर्ष एक चुनौती होगी.
पवार ने कहा कि मानसून इस वर्ष लुका-छिपी का खेल, खेल रहा है, जिसके कारण पिछले दो वर्षो के शानदार फसल उत्पादन के स्तर को बनाए रखना वाकई में एक चुनौती होगी.
सरकार इस बात को लेकर चिंतित है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में कम बारिश से इस वर्ष रवि की फसलों की बुवाई प्रभावित होगी. अधिकारियों ने कहा है कि 2010-11 में खाद्यान्न उत्पादन 23.50 करोड़ टन हुआ था और 2011-12 में 25 करोड़ टन से अधिक उत्पादन की आशा थी.
मानसून की बारिश महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश में लगभग 60 प्रतिशत खेती मानसून की बारिश पर ही निर्भर है.
पवार ने कहा कि यह कृषक समुदाय, वैज्ञानिकों और नीतिनियंताओं के लिए समानरूप से लगातार चुनौती बना हुआ है. सरकार मानसून से सम्बंधित किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार है.
पवार ने कहा कि विभिन्न फसलों की देर से बोई जाने वाली किस्मों का पर्याप्त बीज भंडार है और इन बीजों को विभिन्न राज्यों में भेज दिया गया है.
पवार ने कहा कि खरीफ के मौसम की दलहनी फसलों के उत्पादन में किसी नुकसान की भरपाई के लिए रबि की दलहनी फसलों के बीजों की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराने के लिए भी कदम उठाए गए हैं. पवार ने इस मौके पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के स्थापना दिवस पर वैज्ञानिकों को पुरस्कार भी प्रदान किए.