भूमि अधिग्रहण के एक मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी को बड़ा झटका दिया है. इस घटना के बाद पश्चिम बंगाल का सिंगूर मामला एक बार फिर से चर्चा में है. इस मामले पर डालिए एक नजर...
वामपंथी सरकार ने दी थी इजाजत
सिंगूर में टाटा मोटर्स के नैनो प्लांट को ममता बनर्जी से पहले की वामपंथी सरकार ने अनुमति दी थी. लीज़ पर टाटा को दी गई 997 एकड़ ज़मीन पर लखटकिया कार 'नैनो' के उत्पादन के लिए कारखाना स्थापित किया जाना था.
उस समय ममता बनर्जी विपक्ष में थीं और वामपंथी सरकार की नीतियों के खिलाफ थीं. ममता शुरू से ही सिंगूर में टाटा के प्लांट लगने का विरोध कर रही थीं.
ममता सरकार ने लौटाई जमीन
बाद में जब ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं, तो उन्होंने कानून बनाकर सिंगूर की करीब 1000 एकड़ जमीन उन 13 हजार किसानों को लौटाने का फैसला किया, जिनसे यह ज़मीन ली गई थी.
गुजरात में लगा नैनो प्लांट
पश्चिम बंगाल में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन और हिंसक झड़प के बाद साल 2008 में टाटा ने अपने प्लांट को सिंगूर से बाहर ले जाने का फैसला किया. बाद में टाटा ने गुजरात में नैनो प्लांट लगाया. टाटा मोटर्स का दावा है कि सिंगूर में वह 1500 करोड़ रुपये निवेश कर चुकी है. इसी आधार पर वह और मुआवज़ा भी चाहती है.