पाकिस्तान में न्यायपालिका और सरकार के बीच तनाव की पृष्ठभूमि में स्थिति हर वक्त करवट ले रही है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लगे झटके से उबरने में जुटी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सामने उस वक्त एक नई मुश्किल पैदा हो गई जब एक अदालत ने प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार मखदूम शहाबुद्दीन के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया.
रावलपिंडी की अदालत की ओर से वारंट जारी किए जाने के बाद अब शहाबुद्दीन की दावेदारी लगभग खत्म मानी जा रही है, हालांकि इस संदर्भ में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. राष्ट्रपति एवं पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी ने ही शहाबुद्दीन को प्रधानमंत्री पद के लिए मनोनीत किया था.
अब रजा परवेश अशरफ को इस पद के लिए प्रबल दावेदार के रूप में देखा जा रहा है, हालांकि कमर जमा कायरा भी उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल हैं.
खबरों के मुताबिक अदालत के फैसले के मद्देनजर शहाबुद्दीन अपना नामांकन वापस ले रहे हैं. इसका सीधा मतलब यह है कि अब मुकाबला अशरफ और कायरा बीच रह जाएगा.
शहाबुद्दीन जिस समय नेशनल एसेम्बली में अपना नामांकन पत्र भर रहे थे उसी समय रावलपिंडी में मादक पदार्थ निरोधक बल की एक विशेष अदालत ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया. वारंट उनके स्वास्थ्य मंत्री के कार्यकाल के दौरान नियंत्रित दवा एफेड्रिन के बड़ी मात्रा में हुए आयात में हुई कथित अनियमितता के सिलसिले में जारी किया गया है.
पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी नए प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए शुक्रवार को नेशनल असेंबली का सत्र बुलाया है. सुप्रीम कोर्ट शहाबुद्दीन के स्वास्थ्य मंत्री के कार्यकाल में एफेड्रिन के कोटे से इतर आयात की अनुमति देने के आरोपों पर गौर कर रहा है. बिजली मंत्री के रूप में काम कर चुके अशरफ का नाम निजी बिजली परियोजनाओं में हुए घोटालों से जोड़ा गया है.
प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने मंगलवार को कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए गिलानी को अयोग्य करार दिया था. इन याचिकाओं को नेशनल एसेम्बली की स्पीकर फहमिदा मिर्जा के उस निर्णय को चुनौती देते हुए दायर किया गया था जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री को अवमानना का दोषी ठहराये जाने के बाद अयोग्य घोषित करने से इंकार कर दिया था.
उधर, मुख्य विपक्षी दल पीएमएल-एन ने सरदार महताब अब्बासी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर उतारा है. अब्बासी पूर्व में पश्चिोत्तर सीमांत प्रांत के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. जमात उलेमा ए इस्लाम ने अपने प्रमुख मौलान फजलुर रहमान को इस पद के लिए उतारा है.