विकिलीक्स से मिले लगभग ढाई लाख गोपनीय दस्तावेजों का ब्यौरा न्यूयॉर्क टाइम्स ने आज जारी कर दिया, जिनमें परमाणु ईंधन पर पाकिस्तान के साथ गतिरोध और चीन की सरकार द्वारा गूगल प्रणालियों को हैक करने जैसे कई मामलों में राजनयिक स्तर की बातचीत और घटनाओं का खुलासा किया गया है.
विकिलीक्स से जारी अमेरिका के लगभग ढाई लाख गोपनीय दस्तावेजों में करीब 3,038 गोपनीय दस्तावेज नयी दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के हैं. लाखों लोगों का जीवन खतरे में पड़ने की अमेरिकी आशंका के बावजूद दुनियाभर का मीडिया आज इन दस्तावेजों का ब्यौरा प्रकाशित कर रहा है.
विदेश विभाग के प्रवक्ता पी जे क्राउले ने कहा कि इन गोपनीय दस्तावेजों के जारी होने से पहले ही अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत को इस बारे में आगाह कर दिया था.
अमेरिका ने विकिलीक्स के इस कदम को गैर कानूनी बताया है और कहा है कि इससे अपने दोस्तों और सहयोगियों के साथ उसके संबंधों पर असर पड़ेगा. इन दस्तावेजों में भारत संबंधी ब्यौरे के बारे में फौरी तौर पर पता नहीं चल पाया है क्योंकि विकिलीक्स की वेबसाइट बेहद व्यस्त होने की वजह से ठीक तरह से खुल नहीं पा रही है.
आज जारी कुल ढाई लाख गोपनीय दस्तावेजों में कुल 3,038 दस्तावेज नयी दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास से संबंधित हैं.
न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि सार्वजनिक हो चुके इन गोपनीय दस्तावेजों में परमाणु ईंधन पर पाकिस्तान के साथ गंभीर गतिरोध का खुलासा हुआ है. पता चला है कि वर्ष 2007 से ही अमेरिका पाकिस्तान स्थित एक परमाणु शोध संयंत्र से उच्च संवर्धित यूरेनियम हटाने का प्रयास करता रहा है.
अमेरिका को भय है कि इस यूरेनियम का गैर कानूनी रूप से परमाणु उपकरण बनाने में इस्तेमाल हो सकता है. अमेरिका अपने इस प्रयास में अब तक नाकाम रहा है.
मर्च 2009 में राजदूत ए डब्ल्यू पीटरसन ने खबर दी कि पाकिस्तान अमेरिकी तकनीकी विशेषज्ञों के तयशुदा दौरे से इनकार कर रहा है क्योंकि ‘स्थानीय मीडिया को ईंधन हटाने के बारे में पता चल गया तो वह इसे पाकिस्तान के परमाणु हथियार लेने की अमेरिकी कवायद निरूपित करेंगे. {mospagebreak}
इन दस्तावेजों से इसके अलावा चीन की सरकार के दुनियाभर में कम्प्यूटरों को हैक करने की पहल के बारे में नयी बातें मालूम हुई हैं.
एक दस्तावेज के मुताबिक, चीन के पोलित ब्यूरो ने गूगल की कम्प्यूटर प्रणालियों में सेंध लगाने का निर्देश जारी किया था. एक चीनी सूत्र ने जनवरी में बीजिंग स्थित अमेरिकी दूतावास को यह जानकारी दी थी.
गोपनीय दस्तावेजों से पता चलता है कि चीन ने अमेरिकी सरकार, पश्चिमी सहयोगियों, दलाई लामा और अमेरिकी कारोबारियों के कम्प्यूटरों में वर्ष 2002 से ही सेंध लगाना शुरू कर दिया था.
व्हाइट हाउस ने विकिलीक्स द्वारा इन गोपनीय दस्तावेजों को सार्वजनिक किये जाने की कड़ी भर्त्सना की है और कहा है कि इससे हजारों राजनयिकों, अधिकारियों के जीवन के साथ साथ अमेरिका के अपने दोस्तों और सहयोगियों के साथ संबंध भी खतरे में पड़ गए हैं.
न्यूयार्क टाइम्स के मुताबिक, इन दस्तावेजों से पता चलता है कि अमेरिकी विदेश विभाग के कर्मचारियों को चुनिंदा देशों में खुफिया जानकारी जुटाने के लिए किस तरह निर्देश मिलते थे.