कामकाजी मांओं को अपनी नौकरी के एवज में वेतन तो मिलता ही है, साथ ही उनका स्वास्थ्य भी घरों पर रहने वाली मांओं की तुलना में बेहतर होता है.
‘यूनिवर्सिटी ऑफ एकरॉन’ में समाजशास्त्र के प्रोफेसर एड्रियन फ्रेच ने एक नए शोध में कहा है कि सुपरमॉम यानी कामकाजी मांएं घरों पर रहने वाली या पार्ट टाइम काम करने वाली अथवा हाल ही में बेरोजगार हुई मांओं की तुलना में अधिक स्वस्थ होती हैं.
फ्रेंच और उनकी सह लेखिका साराह डैमस्के ने वर्ष 1978 से 1995 के बीच मां बनीं 2,540 महिलाओं के ब्यौरों का अध्ययन किया. साराह पेन्सिलवैनिया स्टेट यूनिवर्सिटी से संबद्ध हैं.
शोधकर्ताओं ने पाया कि बच्चे होने के बाद जो महिलांए पूर्णकालिक काम करती हैं उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है. वह 40 साल की उम्र तक अधिक सक्रिय होती हैं, उनमें उर्जा अधिक होती है और अवसाद के मामले उनमें कम ही होते हैं.
अनुसंधान में यह भी पता चला है कि पेशेवर करियर के शुरू में महिलाएं जो विकल्प चुनती हैं उसका असर बाद में उनके स्वास्थ्य पर पड़ सकता है.
फ्रेच ने कहा, ‘काम आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए अच्छा है. इससे महिलाओं के मन में उद्देश्य जागता है, आत्मक्षमता, नियंत्रण और स्वायत्तता की भावना आती है. उनके पास वह क्षेत्र होता है जिसमें वह दक्ष होती हैं और उसके एवज में उन्हें वेतन मिलता है.’