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अमेरिका में हिंदी पर बहस

येल, हार्वर्ड, प्रिंस्टन और कोलम्बिया जैसे अमेरिका के विख्यात विश्वविद्यालयों के छात्र 'हिंदी में उच्चतर शिक्षा बेकार है' विषय पर बहस करने की तैयारी कर रहे हैं.

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येल, हार्वर्ड, प्रिंस्टन और कोलम्बिया जैसे अमेरिका के विख्यात विश्वविद्यालयों के छात्र 'हिंदी में उच्चतर शिक्षा बेकार है' विषय पर बहस करने की तैयारी कर रहे हैं.

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यह चौथा येल हिंदी बहस है, जो अब एक राष्ट्रीय बहस आयोजन बन चुका है. इसकी शुरुआत 2008 में येल विश्वविद्यालय के स्तर पर हुई थी. चौथे बहस में दो चक्र होंगे. पहला चक्र 30 मार्च को होगा. दूसरा चक्र येल विश्वविद्यालय में छह अप्रैल को होगा. छात्र इस बहस में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर वाद-विवाद करते हैं.

बहस में पेंसिल्वेनिया, न्यूयार्क, कार्नेल, वेल्सली, कैलीफोर्निया, लॉस एंजेलिस, वेल्सियन और टेक्सास विश्वविद्यालय के भी छात्र शामिल होंगे. येल में साल में एक बार होने वाले इस हिंदी बहस की शुरुआत निखिल सूद ने की थी. उन्होंने 2006 में दिल्ली के सेंट कोलम्बिया स्कूल से शिक्षा पूरी की और उसके बाद 2010 में येल कॉलेज से शिक्षा पूरी की. वह अभी येल लॉ स्कूल के छात्र हैं, जिसे अमेरिका का सबसे अच्छा कानून का कॉलेज माना जाता है. उन्हें इस प्रयास में विश्वविद्यालय की हिंदी तथा दक्षिण एशियाई अध्ययन की लेक्टर सीमा खुराना से भी प्रोत्साहन मिला.

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येल का यह हिंदी बहस अमेरिका में येल के भारत सम्बंधी पहल तथा दक्षिण एशियाई अध्ययनों के विकास की एक प्रमुख गतिविधि के रूप में उभरा है. पिछले बहस के विषय थे 'देशभक्ति अब प्रासंगिक नहीं (2009), धर्म एकता की जगह विभेद को बढ़ाता है (2010) और वैवाहिक संस्था की मौत हो रही है (2011).'

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