शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने कहा कि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा भाजपा के भीतर एक ‘मानव बम’ हैं और पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के रास्ते में ‘बारूदी सुरंगें बिछी’ हुई हैं.
ठाकरे ने भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य से संजय जोशी के त्यागपत्र को लेकर पार्टी में मतभेद पर स्पष्ट प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभावशाली कद को स्वीकार किया जिसकी सहमति गडकरी के दूसरे कार्यकाल के लिए जरूरी है.
ठाकरे ने पार्टी मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा, ‘भाजपा प्रमुख के रूप में नितिन गडकरी के दूसरे कार्यकाल के लिए मार्ग प्रशस्त करने के लिए मोदी की सहमति जरूरी है और उसके लिए संजय जोशी को बलि का बकरा बनाया जाना था.’ उन्होंने कहा, ‘भाजपा को स्वीकार मोदी की शर्त स्वीकार करनी थी कि यदि वह यह चाहती है कि गुजरात के मुख्यमंत्री बैठक में शामिल हों तो जोशी को बाहर का रास्ता दिखाना होगा.’
उन्होंने येदियुरप्पा के लिए यह उल्लेख अप्रत्यक्ष रूप से इसलिए किया क्योंकि उनमें दक्षिण के उस एकमात्र राज्य में पार्टी को नुकसान पहुंचाने की ताकत है जहां वह सत्ता में है. येदियुरप्पा ने शुरू में अनिच्छा जताने के बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा लिया.
भले ही गडकरी ने जोशी को हटाकर मोदी के साथ सुलह कर ली हो और येदियुरप्पा के दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने की चाहत पर रोक लगा दी हो लेकिन ठाकरे ने भाजपा प्रमुख के लिए एक चेतावनी देते हुए कहा कि उनका मार्ग खतरों से भरा हुआ है. गडकरी ने कहा, ‘गडकरी को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि उनका रास्ते में बारूदी सुरंगे बिछी हुई हैं.’
उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में प्रधानमंत्री पद के लिए बढ़ती अभिलाषाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले इस पद के लिए केवल लालकृष्ण आडवाणी ही दावेदार थे. ठाकरे ने कहा, ‘नयी पटकथा में कई नए नायक सामने आ गए हैं. मीडिया कहता है कि आडवाणी के अलावा गडकरी, मोदी, सुषमा स्वराज और अरूण जेटली इस सूची में हैं.’
उन्होंने कहा कि हर किसी को अपनी निजी महत्वाकांक्षओं को दूर रखना चाहिए और अगले लोकसभा चुनाव में राजग की जीत के लिए लग जाना चाहिए. उन्होंने साथ ही यह भी सलाह दी कि राजग में ममता बनर्जी, जयललिता और नवीन पटनायक को लाने के लिए भी प्रयास होने चाहिए.
भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने दो दिवसीय बैठक की समाप्ति पर संवाददताओं से कहा, ‘जहां तक ममता बनर्जी का सवाल है मैं इतना ही कह सकता हूं कि उन्होंने हमारे साथ काम किया है और वह वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुकी हैं. उन्होंने राजग के काम करने का तरीका, हमने जो उन्हें सम्मान और महत्व दिया उसे देखा है. उन्होंने संप्रग सरकार में होने वाली घुटन भी देखी है. उन्हें इस संबंध में निर्णय लेने दीजिये.’