पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने साम्प्रदायिक तनाव को आस्थाओं की विफलता का परिणाम बताते हुए युवाओं का आह्वान किया कि वे भ्रष्टाचार को मिटाने और ग्रामीण विकास के लिये सक्रिय भागेदारी करें ताकि समाज ‘संवेदनशील ’ बन सके.
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उन्होंने साथ ही धार्मिक नेताओं से देश में शांति को बढ़ावा देने के लिये प्रत्येक पंचायत तालुक और जिले में ‘सद्भाव परियोजना’ शुरू करने का आह्वान किया.
स्वामी विवेकानंद की 150वीं जन्मतिथि समारोहों के तहत यहां आयोजित ‘अंतर आस्था सम्मेलन’ में कलाम ने कहा ‘‘हमें भ्रष्टाचार हटाकर एक संवेदनशील समाज बनाना है. असंतोष (समाज में) मैं क्या लेता हूं इससे पैदा होता है, इसे मैं क्या दे सकता हूं से बदलना चाहिये...’’
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कलाम ने कहा, ‘‘मैं युवाओं और अन्य को सुझाव देता हूं कि हर कोई पांच पेड़ लगाकर साफ वातावरण दे बीमार और तन्हा जीवन जी रहे लोगों की देखभाल करें. जिन लोगों की देखभाल के लिये अस्पताल में कोई नहीं हैं, उन्हें देखने जाएं और मुस्कुराहट दें.’’
पूर्व राष्ट्रपति ने ध्यान दिलाया, ‘‘व्यथा हिंसा में बदल जाती है. इस तरह के (अंतर आस्था) सम्मेलन से एक-दूसरे को बेहतर समझने में मदद मिलेगी.’’ उन्होंने साथ ही कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित अंतर आस्था सम्मेलनों से कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वामी विवेकानदं की 150वीं जन्मतिथि के अवसर पर राष्ट्रव्यापी समारोहों का उद्घाटन जनवरी में किया था.