पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी 8 अप्रैल को अजमेर जाकर प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जियारत कर सकते हैं.
पाकिस्तान सरकार के सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा ‘निजी यात्रा’ के आग्रह को भारतीय पक्ष के पास भेजा गया है, हालांकि यात्रा की अंतिम तारीख अभी तय नहीं है. हालांकि दिल्ली में सूत्रों ने कहा कि जरदारी आठ अप्रैल को दौरा कर सकते हैं.
पाकिस्तानी सूत्रों ने कहा कि सरकार ने जरदारी के अजमेर के प्रस्तावित दौरे को गुप्त रखा है क्योंकि इसका उद्देश्य ‘पूरी तरह से निजी’ दौरा होना है.
यात्रा की योजना से परिचित एक सूत्र ने कहा, ‘माना जा रहा है कि यह दौरा राजनीतिक एवं कूटनीतिक विषयों से दूर रहेगा लेकिन चूंकि इसमें राष्ट्रपति शामिल हैं, इसलिए भारतीय नेताओं के साथ कुछ बैठकों की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता.’
राष्ट्रपति के प्रवक्ता फरहतुल्ला बाबर ने कहा कि उन्हें इस तरह के दौरे के बारे में कोई जानकारी नहीं है. हालांकि राष्ट्रपति कार्यालय के एक सदस्य ने कहा कि जरदारी की अजमेर की यात्रा पिछले करीब एक साल से प्रस्तावित है.
एक सदस्य ने कहा, ‘इस दौरे की योजना पिछले साल से प्रस्तावित है क्योंकि राष्ट्रपति अजमेर में दरगाह का दौरा करना चाहते हैं.’ जरदारी की भारत यात्रा का उददेश्य पूरी तरह से धार्मिक है. हालांकि सरकार उनके एकदिवसीय दौर पर कुछ राजनीतिक चर्चा शामिल करने की संभावना तलाश रही है.
दिल्ली स्थित सूत्रों ने कहा, ‘अभी तक, यह दौरा पूरी तरह से धार्मिक उददेश्यों के लिए है, लेकिन प्रयास किये जा रहे हैं कि जरदारी के एक दिवसीय दौरे पर कुछ राजनीतिक चर्चा भी हो सके.’
पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने 2009 में रूस में एससीओ सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से अंतिम बार मुलाकात की थी. सू़त्रों का मानना है कि जैसा कि भारत-पाक रिश्तों में होता है, जरदारी के दौरे की तारीख आते-आते कई फैसले किये जाएंगे.
जरदारी के आध्यात्मिक विश्वास के बारे में पाकिस्तानी मीडिया ने काफी खबरें दी हैं. ऐसा कहा जाता है कि राष्ट्रपति कार्यालय में राष्ट्रपति के साथ एक ‘पीर’ भी रहते हैं. पीर मोहम्मद एजाज को उनके कई आधिकारिक कार्यक्रमों में देखा जा चुका है.