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आंखों की रोशनी लौटाने के लिए इस्तेमाल हुआ दांत! कनाडा में हुआ अनोखा ऑपरेशन

मेडिकल साइंस की तेजी से हो रही तरक्की कई बार किसी चमत्कार से कम नहीं लगती. ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला कनाडा से सामने आया है, जिस पर लोग यकीन नहीं कर पा रहे हैं.ये मामला कनाडा में एक  दुर्लभ सर्जरी का है जिससे एक ब्लाइंड इंसान की आंखों की रोशनी वापस लौटने की उम्मीद है, और इसके पीछे की तकनीक सुनकर आप चौंक जाएंगे-उसकी आंख में दांत लगाया गया है!

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आंखों की रोशनी लौटाने के लिए इस्तेमाल हुआ दांत! (सांकेतिक तस्वीर-Pexel)
आंखों की रोशनी लौटाने के लिए इस्तेमाल हुआ दांत! (सांकेतिक तस्वीर-Pexel)

मेडिकल साइंस की तेजी से हो रही तरक्की कई बार किसी चमत्कार से कम नहीं लगती. ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला कनाडा से सामने आया है, जिस पर लोग यकीन नहीं कर पा रहे हैं.

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ये मामला कनाडा में एक  दुर्लभ सर्जरी का है जिससे एक ब्लाइंड इंसान की आंखों की रोशनी वापस लौटने की उम्मीद है, और इसके पीछे की तकनीक सुनकर आप चौंक जाएंगे—उसकी आंख में दांत लगाया गया है!

क्या है यह अनोखी सर्जरी?
ब्रेंट चैपमैन नाम के व्यक्ति की आंख में डॉक्टरों ने एक खास ऑपरेशन 'टूथ इन आई' तकनीक के तहत उनके खुद के दांत को इस्तेमाल किया है. यह ऑपरेशन सालों से दुनिया के कुछ हिस्सों में किया जा रहा है, लेकिन कनाडा में यह अपने तरह का पहला मामला है.

कैसे होती है यह प्रक्रिया?
इस अनोखे ऑपरेशन को Osteo-Odonto-Keratoprosthesis (OOKP) कहा जाता है, जिसमें मरीज के दांत को एक कृत्रिम कॉर्निया के सपोर्ट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

कैसे ये मुमकिन है?

न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों ने चैपमैन का एक दांत निकाला, उसे एक छोटे टुकड़े में तराशा फिर उसमें एक ऑप्टिकल लेंस फिट कर दिया. फिट किए दांत को तीन महीने के लिए उनके गाल के अंदर प्रत्यारोपित कर दिया गया ताकि उस पर एक सपोर्टिंग टिशू बन सके. इस दौरान, आंख की सतह की ऊपरी परत को हटाकर गाल के अंदरूनी हिस्से से ली गई स्किन से कवर कर दिया गया.

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दूसरा स्टेज

तीन महीने बाद दांत को गाल से निकालकर आंख में लगाया जाएगा.आंख की क्षतिग्रस्त आईरिस और लेंस को हटाकर दांत में लगी ऑप्टिकल लेंस को वहां प्रत्यारोपित किया जाएगा. आंख की स्किन को फिर से सील कर दिया जाएगा, सिर्फ एक छोटा छेद छोड़ा जाएगा जिससे मरीज देख सके.

आखिर दांत ही क्यों?

डॉक्टर ग्रेग मोलोनी के अनुसार, दांत की संरचना इसे ऑप्टिकल लेंस को सुरक्षित रखने के लिए सबसे उपयुक्त बनाती है. साथ ही, गाल की स्किन और दांत एक-दूसरे को आसानी से स्वीकार कर लेते हैं, जिससे बॉडी इसे अस्वीकार नहीं करती.

अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि जब अंतिम सर्जरी पूरी होगी तो क्या चैपमैन की रोशनी लौटेगी या नहीं. दावा किया जा रहा है यह मेडिकल साइंस में एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है!

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