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भाई के इलाज के लिए कंधे पर लेकर 8 KM दूर के अस्पताल पहुंची मासूम

इसे मानवता की नई मिसाल कहें या फिर जज्बात की. 11 साल की एक बच्ची ने वह कर दिखाया, जिसे करने में बड़े-बड़ों के छक्के छूट जाएं. एक छोटी आदिवासी बच्ची ने अपने भाई के इलाज की खातिर उसे कंधे पर बिठाकर 8 किमी का सफर तय किया.

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इसी बच्ची ने किया है कारनामा...
इसी बच्ची ने किया है कारनामा...

इसे मानवता की नई मिसाल कहें या फिर जज्बात की. 11 साल की एक बच्ची ने वह कर दिखाया, जिसे करने में बड़े-बड़ों के छक्के छूट जाएं. एक छोटी आदिवासी बच्ची ने अपने भाई के इलाज की खातिर उसे कंधे पर बिठाकर 8 किमी का सफर तय किया.

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मासूम बच्ची मालती टुडु की उम्र अभी खेलने-खाने की है, पर इस उमर में इस मासूम ने अपने नन्हे भाई की बीमारी की आहट को सुन लिया था. जब लोगों ने 7 सात साल के एक बच्चे को कंधे पर उठाए अस्पताल लाते मालती को देखा, तो सभी सहम गए.

दरअसल, मालती टुडु अपनी नानी के साथ गोड्डा के सुंदरपहाड़ी ब्लॉक के चंदना गावं में रहती है. मां-बाप को खो चुकी मालती का अपने भाई के सिवा कोई सगा नहीं है. कई दिनों से उसका भाई माइकल तेज बुखार में तप रहा था. इलाज कराने की खातिर वह उसे अपने कंधे प बिठाकर सुंदरपहाडी हॉस्पिटल पहुंची.

चंदना गांव से सुंदरपहाड़ी करीब 8 किमी दूर है. वहां से डॉक्टरों ने उसे गोड्डा सदर हॉस्पिटल जाने की सलाह दी. गोड्डा लाने में उसकी मदद एक सामाजिक कार्यकर्ता मनोज भगत ने की.

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मालती जिस क्षेत्र से आती है, वह इलाका झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का है. सरकार के साथ-साथ कई नामी-गिरामी कंपनियां और NGO वहां वेलफेयर ट्रस्ट चलाते हैं. ऐसे में जहां मालती प्रकरण मानवता की मिसाल है, वहीं यह कल्याणकारी योजनाएं चलाने वालों के मुंह पर तमाचा है.

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