वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अफ्रीका महाद्वीप पहले की अपेक्षा कहीं अधिक तेज गति से टूट रहा है. 2005 में इथियोपिया के रेगिस्तान में 35 मील लंबी दरार उभर कर सामने आई थी, जो अब हर साल आधे इंच की गति से चौड़ी हो रही है.
डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, सांता बारबरा के प्रोफेसर केन मैकडोनाल्ड ने कहा है कि यह प्रक्रिया जो पहले करोड़ों वर्षों तक चलने वाली मानी जा रही थी, अब एक से पांच मिलियन वर्षों के भीतर पूरी हो सकती है. इस विभाजन के कारण पृथ्वी पर एक नया महासागर और महाद्वीप बन सकता है.
क्या होगा इस विभाजन का प्रभाव?
प्रोफेसर मैकडोनाल्ड के अनुसार भारतीय महासागर का पानी पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट घाटी में भर सकता है और अंततः यह क्षेत्र एक नए महासागर का रूप ले सकता है. यह नया महासागर अटलांटिक जितना गहरा हो सकता है.
केन्या, तंजानिया और इथियोपिया आएंगे चपेट में
यह दरार सोमालिया, केन्या, तंजानिया और इथियोपिया के हिस्सों से होकर गुजर रही है. वैज्ञानिकों का मानना है कि विभाजन के बाद इथियोपिया का यह हिस्सा 'नुबियन महाद्वीप' के रूप में जाना जाएगा. मैकडोनाल्ड ने कहा कि मानव जीवन पर इस विभाजन का कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा. हालांकि, भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी घटनाएं होती रहेंगी.
पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट सिस्टम
यह प्रक्रिया पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट सिस्टम से जुड़ी है, जो 2,000 मील लंबी दरार है और करीब 2.2 करोड़ वर्ष पहले बनी थी. इस क्षेत्र में दो टेक्टोनिक प्लेट्स, सोमालियन और नुबियन, एक-दूसरे से दूर जा रही हैं.पृथ्वी की सतह का ऊपरी हिस्सा, जिसे लिथोस्फीयर कहते हैं, कई टेक्टोनिक प्लेट्स में बंटा हुआ है. वैज्ञानिक मानते हैं कि ये प्लेट्स आंशिक रूप से खिसकती हैं. यह गतिविधि पृथ्वी के केंद्र से उठने वाली गर्मी के कारण होती है.
महासागर बनने की शुरुआत
2024 में प्रकाशित फ्रंटियर्स इन अर्थ साइंस नामक अध्ययन में बताया गया कि रिफ्ट सिस्टम के अलग-अलग हिस्सों में ज्वालामुखीय गतिविधियां अलग-अलग हैं. वर्जीनिया टेक की प्रोफेसर डी. सारा स्टैम्प्स ने 2020 के एक अध्ययन में बताया कि रिफ्ट के उत्तरी हिस्से में सबसे तेज गति से विभाजन हो रहा है और नए महासागर पहले वहीं बनेंगे.
वर्तमान में क्या आ रही समस्या
2018 में केन्या में भारी बारिश के बाद ऐसी ही दरारें देखी गई थीं. स्थानीय निवासियों ने उस समय जमीन के हिलने की घटनाएं भी महसूस की थीं. भविष्य में ऐसे फिशर्स (दरारें) और भी बन सकते हैं, जिससे मैडागास्कर द्वीप भी दो अलग-अलग टुकड़ों में बंट सकता है.