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प्रणब के बाद कौन बनेगा वित्त मंत्री?

प्रणब दा राष्ट्रपति बन जाएंगे, तो यूपीए के लिए सबसे बड़ा सवाल उठेगा कि लोकसभा का नेता और अगला वित्त मंत्री किनको बनाया जाएगा. नाम तो कई तैर रहे हैं. लेकिन, ये अभी साफ नहीं है कि किसको दी जाएगी दादा की कुर्सी.

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प्रणब मुखर्जी
प्रणब मुखर्जी

प्रणब दा राष्ट्रपति बन जाएंगे, तो यूपीए के लिए सबसे बड़ा सवाल उठेगा कि लोकसभा का नेता और अगला वित्त मंत्री किनको बनाया जाएगा. नाम तो कई तैर रहे हैं. लेकिन, ये अभी साफ नहीं है कि किसको दी जाएगी दादा की कुर्सी.

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महामहिम की कुर्सी के लिए प्रणब मुखर्जी के नाम का ऐलान हो चुका है और अब उनकी खाली हुई कुर्सी को लेकर कयास भी बढ़ते जा रहे हैं. नॉर्थ ब्लॉक में दादा के उत्तराधिकारी के तौर पर कई नाम आगे आ रहे हैं.

इस लिस्ट में जो सबसे अहम नाम सामने आ रहा हैं वो खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का है. प्रधानमंत्री कुछ समय के लिए वित्त मंत्रालय अपने पास रख सकते है. एक अर्थशास्त्री के तौर पर मनमोहन की साख अंतराष्ट्रीय स्तर की है. देश की अर्थव्यवस्था बेहद मुश्किल दौर से गुज़र रही है और अर्थशास्त्री मनमोहन से देश को संकट से वैसे ही उबारने की उम्मीद की जा रही है जैसे उन्होनें 1991 की मंदी के दौरान कर के दिखाया था.

इस लिस्ट में जो नया नाम सामने आ रहा है वो है शहरी विकास मंत्री कमलनाथ का. कमलनाथ यूपीए की पहली पारी में वाणिज्य और उद्योग मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. आर्थिक मामलों से जुड़े कई विभागों का भी अनुभव और गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं.

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वित्त मंत्री की कुर्सी के लिए जो बातें कमलनाथ के खिलाफ जाती हैं उनमें सबसे पहली है, बड़े मंत्रालय संभालने का अनुभव नहीं होना. देश के मौजूदा आर्थिक हालात को देखते हुए किसी नए आदमी को इसकी जिम्मेदारी देना मुश्किल होगा. कमलनाथ गांधी परिवार के करीबी भले ही माने जाते हों लेकिन मनमोहन की गुडलिस्ट में उनका नाम नहीं हैं.

वित्त मंत्री के तौर पर अगला नाम जयराम रमेश का चल रहा है. जयराम भी एक अर्थशास्त्री हैं. जयराम गांधी परिवार के काफी करीबी माने जाते हैं. लेकिन जयराम के साथ दिक्कत ये है कि उनकी छवि ज़मीन से जुड़े नेता की नहीं है और ना ही वो राजनीति के बड़े खिलाड़ी माने जाते हैं.

वित्त मंत्री के विकल्प के रूप में मोंटेक सिंह अहलूवालिया का नाम भी चर्चा में है. अहलूवालिया योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रुप में देश की अर्थव्यवस्था को अच्छी तरह समझते हैं. अर्थशास्त्री हैं और उनके पास वर्ल्ड बैंक का भी अनुभव है. एक और बात मोंटेक सिंह अहलूवालिया पर प्रधानमंत्री भरोसा करते हैं.

मोंटेक सिंह का सबसे बड़ा माइनस प्वाइंट ये है कि वो राजनीतिक शख्सियत नहीं है. लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी इस पद की जिम्मेदारी जनता से जुड़े हुए नेता को देना चाहेगी.

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सी रंगराजन का नाम कई दिनों से चर्चा में है. सी रंगराजन के हक में सबसे पहली बात ये है कि वो प्रधानमंत्री की खास पसंद हैं. अर्थशास्त्र के जानकार हैं और रिजर्व बैंक के गर्वनर रह चुके हैं.

सी रंगराजन के खिलाफ जो बात आती है वो ये है कि अर्थशास्त्री रंगराजन राजनेता नहीं है और पार्टी अगले लोकसभा चुनाव को देखते हुए ही किसी राजनेता को इस अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी देना चाहेगी.

सरप्राइज़ पैकेज के तौर पर आनंद शर्मा का नाम भी वित्त मंत्री की दौड़ में चल पड़ा है. कैबिनेट मंत्री के तौर पर आनंद शर्मा का काम अच्छा रहा है. लेकिन आनंद शर्मा ने इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी पहले कभी नहीं उठाई है और यही बात उनके खिलाफ जा रही है.

सरकार में बहुत से लोग हैं. प्रणब लोकसभा में सत्ता पक्ष के नेता भी हैं. कांग्रेस को उनके कद के मुताबिक ही किसी नेता का चुनाव करना होगा.

एक नाम सुशील कुमार शिन्दे का भी है. कई बार चुनाव जीत चुके शिन्दे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रह चुके है. उन्हे एक अनुभवी और मंझे हुए नेता के तौर पर देखा जाता है. लोकसभा के नेता के लिए चिदंबरम का नाम भी सुर्खियों में हैं.

चिदंबरम गृहमंत्री हैं, बड़े कद के नेता भी हैं. लेकिन हाल के दिनों में कई आरोपों से घिरे चिदंबरम विपक्ष के निशाने पर रहते हैं. ऐसे में संसद में पार्टी की ढाल बनना..शाद उनके लिए मुश्किल साबित हो.

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कुल मिलाकर एक तरफ है रायसीना की राजनीति तो दूसरी तरफ वित्त मंत्री की कुर्सी की वैकेंसी लेकिन संभावित उम्मीदवारों की सियासत फिलहाल पर्दे के पीछे है.

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