आज है अक्षय तृतीया. वैशाख मास की ये तारीख काफी खास है. काफी शुभ है. यही वजह है कि इस मौके पर लोग स्नान दान करना नहीं भूलते. वाराणसी-हरिद्वार में बड़ी तादाद में लोग ब्रह्म मुहूर्त में ही स्नान करने के लिए उमड़ पड़े. साल के इस शुभ दिन पर सोने की बिक्री भी बढ़ जाती है. लिहाजा आज सोने-चांदी की खरीदारी का काम जोरों पर है. माना जाता है कि इस दिन सोना खरीदने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.
सोने की खरीददारी, बाजारों में रौनक
अक्षत तृतीया के शुभ मौके पर मुंबई में सोने की जमकर खरीददारी हो रही है. सोने के भाव में पिछले दिनों आई गिरावट के कारण ये मौका खरीदारों के लिए सोने पे सुहागे जैसा है. सोना खरीदारी का ये हाल है कि सोमवार के दिन करीब 400 करोड़ के आसपास कारोबार का अनुमान है.
वहीं, गुलाबी नगरी जयपुर रत्नों की वजह से ज्यादा जाना जाता है, लेकिन आज के दिन यहां पर दिल खोल कर सोना खरीदा जाता है. भोपाल में अक्षय तृतीय का स्वागत ढोल नगाड़ों के साथ किया गया. ज्वैलर्स की दुकानों के बाहर ढोल नगाड़े बजाकर इस शुभ दिन की शुरुआत की गई. अक्षय तृतीय तो आज है, लेकिन इस दिन के लिए हफ्ते भर पहले से ही खरीददारों ने बुकिंग कर रखी थी. जिससे हफ्ते भर पहले के भाव पर सोना खरीदा जा सके और आज के दिन सोने के गहने को लोग घर ले जा सकें.
क्या है अक्षय तृतीया की मान्यता?
वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अक्षय यानी जिसका कभी क्षय नहीं होता. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक अक्षय तृतीया को साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है. इस दिन को इतना शुभ माना जाता है कि किसी भी शुभ काम के लिए मुहूर्त देखने की भी जरूरत नहीं होती. अक्षय यानी जो कभी खत्म न हो इसीलिए लोग इस दिन कई शुभ काम जैसे जमीन खरीदना, घर बनाने की शुरुआत, शादी-ब्याह और नए व्यापार की शुरुआत करते हैं. माना जाता है कि इस दिन शुरू किए गए काम सुख और समृद्धि लाते हैं. यही वजह है कि हजारों सालों से इस दिन खरीददारी करने और पूजा और दान करने की परंपरा चली आ रही है.
यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए विशेष माना जाता है. कहते हैं कि इस दिन की गई एक छोटी सी पूजा से नारायण संग मां लक्ष्मी भी आती हैं भक्तों के घर. मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही त्रेता युग का आरंभ हुआ था. कहते हैं कि इस दिन जो कुछ भी खरीदा जाता है उसमें दिन दूनी रात चौगुनी बढोतरी होने लगती है. कहते हैं कि अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त पर ही विष्णु ने अपना छठा अवतार यानी परशुराम का रूप धरा था. यही नहीं नर नारायण भी इसी दिन धरती पर आए थे. कहते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन ही ऋषि वेदव्यास ने भगवान गणेश के साथ महाभारत लिखनी शुरू की थी.