एलियंस यानी दूसरे ग्रह के वासियों को लेकर आए दिन तमाम तरह के दावे किए जाते हैं. यूएफओ को इनसे जोड़कर देखा जाता है और कहा जाता है कि ये धरती पर बार बार आते हैं. ब्रिटेन में 2.5 साल के भीतर करीब 1000 यूएफओ दिखने का दावा किया गया है. इसके अलावा वैज्ञानिक सिग्नल्स भेजकर एलियंस से बात करने की कोशिशों में भी जुटे हैं. इस सब में सवाल ये भी है कि भला उनकी भाषा को समझा कैसे जाए या फिर क्या किया जाए कि एलियंस दोस्ताना सिग्नल को दुश्मनी भरा न समझ लें और कोई युद्ध न छेड़ दें.
वैज्ञानिकों ने तैयार की 'एलियन डिक्शनरी'
ऐसे में एलियंस से चैट करने में हमारी मदद करने के लिए वैज्ञानिकों ने पहली बार 'एलियन डिक्शनरी' तैयार की है. 25 एकेडेमिक्स ने इसे बनाया है. ये किताब, ज़ेनोलिंग्विस्टिक्स: टुवर्ड्स ए साइंस ऑफ़ एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल लैंग्वेज, बाहरी अंतरिक्ष से किसी भी संकेत को समझने और उसका जवाब देने में मदद करेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि यह जरूरी है कि अन्य प्राणियों के साथ हमारा प्राइमरी कम्युनिकेशन विनाशकारी युद्ध के बजाय दोस्ताना हो.
कैसे बनी एलियन डिक्शनरी?
उनका मानना है कि प्राचीन मानव भाषा और जानवरों की आवाज़ और घुरघुराहट पर सदियों से की गई स्टडी की मदद से बनी डिक्शनरी दूसरी दुनिया से आए संचार को डिकोड किया जा सकता है. किताब के एडिटर और एक खगोल जीवविज्ञानी डॉ. डगलस वाकोच ने कहा: "मुझे लगता है कि यह काफी रियलिस्टिक है कि हम अपने जीवनकाल में Seti (Search for extraterrestrial intelligence) कार्यक्रमों के जरिए एक संदेश प्राप्त कर सकते हैं या ऐसे संदेश भेज सकते हैं जिनका किसी दिन जवाब मिल सकता है."
सिग्नल पहुंचने में लगते हैं 4 साल
टेलीस्कोप पिछली आधी सदी से ट्रांसमिशन के लिए आकाश को स्कैन कर रहे हैं. हमारे अपने संदेश भी किसी एलियन रिएक्शन की तलाश में ब्रह्मांड में भेजे गए हैं. लेकिन इंटरस्टेलर चैट धीमी होगी क्योंकि सिग्नल को पृथ्वी और हमारे निकटतम तारे के बीच प्रकाश की गति से यात्रा करने में चार साल लगते हैं.
इस साल की शुरुआत में, डॉ. वाकोच ने एलियंस के साथ कम्युनिकेशन के बारे में बताया. उन्होंने बीबीसी से कहा कि इस डिक्शनरी की मदद से यदि हमारे संदेश प्राप्त होते हैं, समझे जाते हैं और जवाब आता है तो ये बड़ी सफलता होगी.