माउंटेन मैन के नाम से मशहूर दशरथ मांझी पर फिल्म आने के बाद उनकी देशभर में चर्चा हो रही है, लेकिन एक माउंटेन मैन राजस्थान में भी हैं, जिनके बारे में कम लोग जानते हैं.
माउंटेनमैन के नाम से मशहूर
बिहार के दशरथ मांझी ने हालांकि पत्नी की याद में पहाड़ काटकर रास्ता बनाया था, लेकिन जोधुपर के प्रेमसुखदास ने मां की तकलीफ दूर करने के लिए छैनी, हथोड़े और उससे भी ज्यादा अपने हौसले से पहाड़ तोड़ा. प्रेमसुखदास जोधपुर से करीब 60 किमी दूर नांदिया कलां में रहते हैं. इन्हें यहां लोग नाम से कम और माउंटेनमैन तथा संत कहकर ज्यादा पुकारते हैं.
मां की तकलीफ दूर करने के लिए काटा पहाड़
प्रेमसुख बताते हैं, एक बार मेरी मां यहां आईं. उन्हें पानी लाने के लिए हर बार पहाड़ पर चढ़ना पड़ता था. उनकी यह तकलीफ मुझसे देखी नहीं गई. मैंने तभी ठान लिया कि कुछ ऐसा इंतजाम करूंगा कि मां मां को तो क्या, आसपास के गांववालों को भी पानी के लिए परेशान न होना पड़े.'
तीन साल तक की खुदाई
बतौर प्रेमसुख, 'उस वक्त तक पहाड़ से बारिश का पूरा पानी बहकर निकल जाता था. इसीलिए उसे किसी एक जगह बांधने का फैसला किया. मैं जगह देखकर काम में जुट गया और मेरे पास सिर्फ कुदाल और हथौड़ा था. पास में ही रहने के लिए पहाड़ काटकर 60 फीट गहरी गुफा बना ली. उसी में एक छोटा- सा मंदिर भी बनाया.
2007 से 2009 तक प्रेमसुख ने खुदाई की और बांध बनाया लेकिन पहली ही बारिश में पानी के बहाव में बांध की दीवार ढह गई.
फिर भी उनका हौसला नहीं टूटा. इस बार 60 फीट की पहले से ज्यादा मजबूत दीवार बनाई और वह यहां पानी को रोकने में कामयाब हो गए.