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वह नौकरी भी क्‍या, जो 'सरकारी' न हो...

हाल के दिनों में युवाओं में सरकारी नौकरी के प्रति रुझान बढ़ा है. निजी क्षेत्र में तरक्‍की की ज्‍यादा संभावनाओं के बावजूद युवा टिकाऊ नौकरी को ज्‍यादा तरजीह दे रहे हैं.

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हाल के दिनों में युवाओं में सरकारी नौकरी के प्रति रुझान बढ़ा है. निजी क्षेत्र में तरक्‍की की ज्‍यादा संभावनाओं के बावजूद युवा टिकाऊ नौकरी को ज्‍यादा तरजीह दे रहे हैं.

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यही वजह है कि ज्यादा से ज्यादा प्रबंधन संस्थानों के छात्र अब सार्वजनिक उपक्रमों और केंद्र सरकार के रोजगार को तवज्जो दे रहे हैं. उद्योग मंडल एसोचैम के एक सर्वे में यह बात कही गई है.

इस वर्ष फरवरी और मार्च में एसोचैम द्वारा देश भर में किए गए सर्वे के अनुसार अधिकतर छात्र (करीब 88 प्रतिशत) सार्वजनिक कंपनियों और केंद्र सरकार की नौकरी में जा रहे हैं. ‘पीएसयू या केंद्र सरकार में नौकरी की तलाश’ शीषर्क से दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मुंबई, अहमदाबाद, पुणे, बैंगलोर, हैदराबाद, कोलकाता, चेन्नई, इंदौर, पटना, पुणे, चंडीगढ़ तथा देहरादून जैसे शहरों में सर्वेक्षण किया गया.

केंद्र सरकार या सार्वजनिक उपक्रमों में नौकरी को तरजीह देने वालों में दिल्ली के उम्‍मीदवार पहले पायदान पर रहे. इसके बाद क्रमश: मुंबई, अहमदाबाद, चंडीगढ़, हैदराबाद, कोलकाता तथा चेन्नई का स्थान रहा. ज्यादातर छात्रों ने कहा कि वे ओएनजीसी, आईओसी, एनटीपीसी, एचपीसीएल, बीपीएल, सेल, बैंक तथा विनिर्माण क्षेत्र की कंपनियों में जाना चाहेंगे, जो स्थिरता के साथ विकास की बेहतर संभावना उपलब्ध कराते हैं.

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अध्ययन के अनुसार प्रबंधन संस्थानों के अधिकतर छात्रों का यह मानना है कि सार्वजनिक उपक्रमों तथा केंद्र सरकार की एजेंसियां ऐसा काम सौंपती हैं, जो चुनौतीपूर्ण होता है. साथ ही उसमें अवसर और स्थिरता होती है.

दिल्ली, बैंगलोर, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों में केवल 4 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि प्रमुख निजी कंपनियां उन्हें चुनौतीपूर्ण संस्कृति और विकास की संभावना उपलब्ध कराएंगी.

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