scorecardresearch
 

शोशेबाजी से पत्थर के बुत में न सिमट जायें बापू...

देश में शनिवार दो अक्तूबर को महात्मा गांधी की 141वीं जयंती मनाने की तैयारियों के बीच, राष्ट्रपिता की पोती सुमित्रा गांधी कुलकर्णी को लगता है कि शायद कई लोग बापू को भूल रहे हैं.

Advertisement
X

देश में शनिवार दो अक्तूबर को महात्मा गांधी की 141वीं जयंती मनाने की तैयारियों के बीच, राष्ट्रपिता की पोती सुमित्रा गांधी कुलकर्णी को लगता है कि शायद कई लोग बापू को भूल रहे हैं. उनके मुताबिक इस विस्मृति से अभिप्राय गांधी के असल आदर्शों को भुलाकर उन्हें याद करने के नाम पर अक्सर होने वाली खालिस रस्म अदायगी से है.

Advertisement

जब 80 वर्षीय सुमित्रा से पूछा गया कि वह मौजूदा वक्त में अपने दादा की विचारधारा को वह कहां पाती हैं तो उन्होंने इसका जवाब कुछ यूं दिया, ‘आप मेरी बात से जरूर सहमत होंगे, देश में कई लोग शायद महात्मा गांधी को भूल रहे हैं. भूल जाने के बाद एक नाजुक प्रक्रिया शुरू होती है, जो अंदर ही अंदर सुगबुगाहट पैदा करती रहती है.’

उन्होंने बैंगलोर से फोन पर हालिया बातचीत में कहा, ‘मैंने कुछ ही दिन पहले एक अखबार में पढ़ा कि जब आठवीं या नवीं के बच्चे से पूछा गया कि महात्मा गांधी कौन थे तो उसने जवाब दिया सोनिया गांधी के पिता.’ गांधी के नाम पर हर किस्म की शोशेबाजी के खिलाफ सुमित्रा के मुताबिक, गांधी जयंती के समारोहों को महज रस्म अदायगी बनाया जा रहा है. {mospagebreak}

Advertisement

वह कहती हैं, ‘इन समारोहों से निकलने के बाद लोग गांधी के आदर्शों को भूलकर रोजाना के काम धंधों में लग जाते हैं. अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो अपनी ही चेतना और अंतरात्मा को भुलावा दे रहे हैं.’ बापू के साथ बिताये जिंदगी के शुरूआती सालों को याद करते हुए सुमित्रा ने भावुक लहजे में कहा, ‘जिस क्षण हम गांधी को महज मूर्ति मान लेते हैं, उसी क्षण हम उन्हें पत्थर का बनाकर भूल जाते हैं. जब हम उन्हें सिर्फ मानव मानेंगे, तो उन्हें पत्थर की मूर्ति में सिमटकर नहीं रहना पड़ेगा.’

बहरहाल, पूर्व राज्यसभा सांसद जोर देकर कहती हैं कि अन्याय के खिलाफ संघर्ष का मौलिक गांधीवादी तरीका आज भी प्रासंगिक बना हुआ है. उन्होंने कहा, ‘ऐसे में जब दुनिया भर में हिंसा रोकने के दूसरे तरीके नाकाम हो रहे हैं, मुझे लगता है कि अंतरराष्ट्रीय शांति और अहिंसा का आह्वान करने वाला गांधी का सत्याग्रह दर्शन पुनर्जीवित हो रहा है.’ {mospagebreak}

अयोध्या मसले पर देश भर में खिंचे मौजूदा माहौल पर उन्होंने कहा कि कुछ लोग चाहते हैं कि जनता निरंतर अव्यवस्था से जूझती रहे. ‘जो लोग अव्यवस्था से जूझते रहते हैं, वे न तो विकास कर सकते हैं, न ही गलत हथकंडों को रोकने की हिम्मत रख पाते हैं.’ वह कहती हैं, ‘अगर अयोध्यावासियों पर यह मसला (राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद) छोड़ दिया जाये तो वह इसे पंद्रह दिन में निबटाकर भूल जायेंगे.’

Advertisement

एक सवाल के जवाब में सुमित्रा मानती हैं कि गांधी को ‘ब्रांड’ बना दिया गया है और इस पर वह खुलकर नाराजगी भी जताती हैं. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘हम जितनी बार गांधी का नाम लेते हैं, उतनी बार खुद का प्रचार भी अच्छी तरह कर सकते हैं. फिलहाल मुझे इतना पता है कि गांधी के नाम पर शराब नहीं बिक रही है.’

‘गांधीगिरी’ शब्द के बढ़ते चलन पर सुमित्रा ने कहा कि अगर आज का युवा दादागिरी के खिलाफ गांधीगिरी शब्द का इस्तेमाल करना चाहता है तो इसमें भला क्या गलत हो सकता है. बशर्ते इसका मकसद और नतीजा गलत न हो. खादी की दुर्गति पर गहरा अफसोस जताते हुए उन्होंने कहा कि एक विचारधारा का प्रतीक चरखा, काल के तमाम बदलावों के बावजूद देश के घरों में आज भी चल सकता है.

Advertisement
Advertisement