'लाइफ इन प्लास्टिक, इट्स फैंटास्टिक...' बार्बी गर्ल वाला ये गाना एक वक्त पर हर किसी की जुबान पर चढ़ा था. इसमें लड़की बोलती है कि प्लास्टिक की दुनिया बेहद शानदार है. वहीं बार्बी डॉल और उसकी गुलाबी दुनिया की दीवानी तो पुरानी दुनिया है. खासतौर पर महिलाएं. जो बचपन से ही बार्बी डॉल्स को बेहद पसंद करती हैं. फिर चाहे स्कूल का बैग हो, टिफिन बॉक्स हो या फिर कमरे का इंटीरियर, सब कुछ बार्बी जैसा करना ही उनकी चाहत होती है. लेकिन ये दुनिया दिखने में जितनी रंगीन है, क्या वाकई में वैसी है?
अगर आप ऐसा सोच रहे हैं, तो बिलकुल नहीं. इसकी एक डार्क साइड भी है. जिसकी तरफ शायद ही लोगों का ध्यान गया हो. पास्टिक की लाइफ उतनी भी शानदार नहीं जितनी बताई जा रही है.
एक केस स्टडी में पता चला है कि अलग अलग जनरेशन की 1000 में से 82% महिलाएं और लड़कियां ये मानती हैं कि बार्बी डॉल्स अवास्तविक शारीरिक अपेक्षाओं को बढ़ावा देती हैं. यानी इससे ये दिखाने की कोशिश होती है कि महिलाओं का शरीर थोड़ा अलग ढंग का होगा तो ही वो ज्यादा सुंदर लगेंगी. फिर भले ही वो असल में कितनी भी खूबसूरत क्यों न हों.
इसे बनाने वालों ने क्या कहा था?
फीमेल डॉल्स को एकदम पलता और लंबा दिखाया गया है. जिसके बालों का रंग भूरा हो, जो गोरी हों, चेहरा चमकदार हो, खासतौर पर ऐसा 1950 के दशक में देखने को मिलता था, जब पहली बार बार्बी डॉल मार्केट में उतारी गईं. अपनी बेटी को पेपर वाली एडल्ट डॉल के साथ खेलता देखने के बाद रूथ हैंडलर ने साल 1959 में इस आकृति का आविष्कार किया था.
उन्होंने कहा था, 'नहीं सोचा था कि जनता बच्चों के लिए स्तनों वाली गुड़िया को स्वीकार करेगी.' वहीं इसके को फाउंडर और पूर्व प्रेसिडेंट मैटेल ने कहा था, 'मुझे पता था कि वो गलत थे.' उनकी 85 साल की उम्र में 2022 में मौत हुई थी.
हार्मनी हेल्थकेयर आईटी की नई रिसर्च में पाया गया कि 69% महिलाएं सोचती हैं कि बार्बी वास्तव में उन बॉडी इमेज की समस्याओं का कारण बन सकती है. बार्बी की पतली कमर, पतला मुंह देखने के बाद महिलाएं अपनी फीगर को लेकर असुक्षित महसूस करती हैं.
वो इस खिलौने के जैसा दिखने के लिए प्लास्टिक सर्जरी को ठीक बताती हैं. ऐसी महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है. एक 26 साल की वीडियो प्रड्यूसर ने एक न्यूज पोर्टल से बातचीत में कहा, 'मैंने अपनी पूरी जिंदगी सॉसर गेम खेला है. मेरा शरीर कभी बार्बी जैसा नहीं हुआ. काफी कम उम्र में ही बार्बी की वजह से मैंने सवाल किए कि क्या मेरा शरीर नॉर्मल है?'
मार्केट में लाखों डॉल्स बिकीं
बार्बी के को-फाउंडर मैटेल ने 64 साल पहले करीब 10 साल के लिए केवल बार्बी डॉल के पुरुष और महिला वर्जन को गोरी त्वचा वाला बनाया. लेकिन अपने पहले साल में ही 300,000 बार्बी डॉल की बिक्री हुई. ये मार्केट में काफी हिट साबित हुई. इसकी फाउंडर ने कहा था कि पहले केवल बेबी डॉल हुआ करती थीं, क्योंकि तब महिलाएं केवल मां बनना चाहती थीं. वक्त बदला और महिलाएं करियर पर ध्यान देने लगीं. तभी आईं वयस्क जैसी दिखने वाली बार्बी डॉल.
एक 24 साल की बिशोप नामक महिला ने बताया, 'बार्बी सुंदर थी, गोरी लड़की, नीली आंखों वाली, अच्छी स्किन थी, अच्छे स्तन भी, लंबी टांगें और मैं वैसी नहीं थी. एक अफ्रीकी अमेरिकी महिला होने के नाते, उसे देखकर मुझे लगने लगा कि वो अमेरिका में एक ब्यूटी स्टैंडर्ड है और मैं वैसी नहीं हूं.'
हालांकि 1998 में मैटेल ने एक और बार्बी डॉल को मार्केट में उतारा. जो अश्वेत थी. फिर 1998 में अश्वेत और अफ्रीकियों जैसे बालों वाली डॉल मार्केट में आईं. हालांकि ये दिक्कत अब भी खत्म नहीं हुई. क्योंकि आम महिलाएं अपने फिगर की बार्बी डॉल से तुलना करने लगी थीं.
वजन को लेकर महिलाओं में डर बढ़ा
2018 की एक स्टडी के अनुसार साल 2000 के दशक में महिलाओं का औसत वजन 171 पाउंड (77 किलो) था. वहीं साउथ शोर ईटिंग डिसऑर्डर्स कोलैबोरेटिव (एसएसईडीसी) की एक सट्डी के अनुसार, बार्बी डॉल की मानव जैसी आकृतियां 5 फुट 9 इंच की थीं, जिनका वजन 110 पाउंड (49 किलो) तक था.
एसएसईडीसी का दावा है कि बार्बी की मानव जैसी आकृति 'एनोरेक्सिया के मानदंड' के अंतर्गत आती है. ये महिलाओं में देखी जाने वाली वो स्थिति है, जिसमें मोटे हो जाने के अस्वाभाविक डर के कारण वो खाना-पीना बंद कर देती हैं.
2015 के बाद लंबी, छोटी, मोटी, सब तरह की बार्बी आईं. आज वो 35 स्किन टोन, 97 हेयर स्टाइल, 9 बॉडी टाइप समेत तमाम वर्जन में मौजूद हैं. लोग इन नई बार्बी को सभी बॉडी टाइप वाला मानते हैं.
हालांकि 8 से 23 साल की महिलाएं बार्बी को अपना रोल मॉडल मानती हैं. हार्मनी सर्वे में लगभग 38% जवाब देने वाले लोग नई बार्बी फिल्म देखने की योजना बना रहे हैं. और 35% 8-23 साल की महिलाओं को लगता है कि ये फिल्म उन्हें अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण देगी.